सावन शिवरात्रि 2018 – शिवरात्रि पर भोलेनाथ करेंगें भक्तो के कष्टों को दूर

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सावन शिवरात्रि तिथि व मुहूर्त 2018 – Sawan Shivratri Muhurat & Tithi

सावन शिवरात्रि (sawan shivratri 2018) बहुत महत्वपूर्ण होती है। माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की पुकार बहुत जल्द सुन लेते हैं। इसलिये उनके भक्त अन्य देवी-देवताओं की तुलना में अधिक भी मिलते हैं। भगवान भोलेनाथ का दिन सोमवार माना जाता है और उनकी पूजा का श्रेष्ठ महीना सावन। वैसे तो हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि भी आती है लेकिन सावन महीने में आने वाली शिवरात्रि को फाल्गुन महीने में आने वाली महाशिवरात्रि के समान ही फलदायी माना जाता है।

सावन शिवरात्रि का महत्व

सभी शिवभक्तों को फाल्गुन महीने के बाद सावन महीने का खास तौर पर इंतजार रहता है। दरअसल सावन के पावन सोमवार और उसमें शिवरात्रि के त्यौहार की महिमा ही अलग होती है। इस शिवरात्रि का महत्व इसलिये भी बढ़ जाता है क्योंकि इसमें भगवान शिव का जलाभिषेक करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है। सावन के पूरे महीने शिवभक्त बम भोले, हर-हर महादेव के नारे लगाते हुए नजर आते हैं। शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक के लिये हरिद्वार, गौमुख से कांवड़ भी लेकर आते हैं। मान्यता है कि श्रावण महीने की शिवरात्रि के दिन जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करते हैं उनके कष्टों का निवारण होता है और मुरादें पूरी हो जाती हैं।

सावन शिवरात्रि पर भोलेनाथ करेंगें कष्ट दूर

अपने भक्तों के संकट तो बाबा भोलेनाथ शिवशंकर दूर करते ही हैं लेकिन सावन के महीने में उनकी विशेष कृपा बरसती है। इस दिन रुद्राभिषेक करने से भक्त के समस्त पापों का विनाश भोले बाबा कर देते हैं।

कालसर्प दोष से मुक्ति के लिये जातक ब्रह्म मुहूर्त में शिव मंदिर में जाकर षोडषोपचार से भगवान भोलेनाथ की पूजा करें और धतूरा चढ़ाकर 108 बार शिवमंत्र का जाप करें। साथ ही चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा भी शिवलिंग पर चढायें, भोले बाबा आपको दोष से मुक्त करेंगें। यदि जातक शारीरिक पीड़ा से निवारण चाहते हैं तो इस दि महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना भी लाभकारी होता है। पंचमुखी रुद्राक्ष की माला लेकर भगवान शिव के मंत्र ऊं नम: शिवाय का जाप करने से तमाम तरह के क्लेश शांत हो जाते हैं।

2018 में सावन शिवरात्रि तिथि व मुहूर्त

2018 में सावन शिवरात्रि गुरुवार के दिन पड़ रही है अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार यह तिथि 9 अगस्त को होगी। भगवान शिव की पूजा करने की विधि और कुंडली में कालसर्प दोष के उपाय जानने के लिये यहां क्लिक करें।

निशिथ काल पूजा24:05 से 24:49

पारण का समय05:52 से 15:44 (10 अगस्त 2018)

चतुर्दशी तिथि आरंभ22:45 (9 अगस्त 2018)

चतुर्दशी तिथि समाप्त19:07 (10 अगस्त 2018)

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पुरुष सूक्त – चातुर्मास में भगवान विष्णु के समक्ष पुरुष सूक्त का पाठ करने से मिलेगी कुशाग्र बुद्धि

शिव रुद्राष्टाध्यायी (रुद्री पाठ) – शास्त्रानुसार, जिसके बिना हर शिव पूजा अपूर्ण है …

मुंशी प्रेमचंद की जीवनी Munshi Premchand Biography in Hindi

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Biography of Munshi Premchand in Hindi Munshi Premchand Biography in Hindi मुंशी प्रेमचंद (Hindi Writer Munshi Premchand) को आधुनिक हिंदी का पितामह कहा जाता है| आसमान में जो स्थान ध्रुव तारे का है वही स्थान हिन्दी साहित्य में मुंशी प्रेमचंद का है| मुंशी जी हिन्दी के प्रमुख लेखकों में से एक हैं| खासकर हिन्दी और उर्दू में प्रेमचंद जी का विशेष लगाव रहा है| मुंशी जी को उपन्यास सम्राट भी कहा जाता है| आज भी स्कूल और विद्यालयों में मुंशी जी की कहानियां बच्चों को पढ़ाई जाती हैं| प्रेमचंद जी हिंदी के सबसे लोकप्रिय और जाने माने लेखक हैं| मुंशी

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जीवन के भव सागर में शिव नैया लगाए पार जटाधारी शंकर जी …

चंद्र ग्रहण 2018 – जाने कब लगेगा सूतक, ग्रहण के दौरान क्या करे और क्या न करे …

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चंद्र ग्रहण 2018 – Lunar Eclipse July 2018

चंद्रग्रहण (Moon Eclipse in Hindi) और सूर्य ग्रहण के बारे में प्राथमिक शिक्षा के दौरान ही विज्ञान की पुस्तकों में जानकारी दी जाती है कि ये एक प्रकार की खगोलीय स्थिति होती हैं। जिनमें चंद्रमा, पृथ्वी के और पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर चक्कर काटते हुए जब तीनों एक सीधी रेखा में अवस्थिति होते हैं। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है और चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया से होकर गुजरता है तो उसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है ऐसा केवल पूर्णिमा को ही संभव होता है। इसलिये चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा को ही होता है। वहीं सूर्यग्रहण के दिन सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आता है जो कि अमावस्या को संभव है। ब्रह्मांड में घटने वाली यह घटना है तो खगोलीय लेकिन इसका धार्मिक महत्व भी बहुत है। इसे लेकर आम जन मानस में कई तरह के शकुन-अपशकुन भी व्याप्त हैं। माना जाता है कि सभी बारह राशियों पर ग्रहण का प्रभाव पड़ता है। तो आइये जानते हैं कि 2018 में चंद्र ग्रहण कब और कितनी बार नज़र आयेगा।

2018 में कब है चंद्रग्रहण 

साल 2018 का दूसरा चंद्र ग्रहण 27-28 जुलाई को लगेगा। यह चंद्रग्रहण पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। पहला चंद्रग्रहण 31 जनवरी 2018 को लगा था।

कहां कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण

पहले चंद्रग्रहण की तरह दूसरा चंद्रग्रहण भी पूर्ण ग्रहण है जो कि 27-28 जुलाई को लगेगा। पूर्ण रूप से लगने वाला यह ग्रहण भारत सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में भी देखा जा सकेगा।

किस समय लगेगा चंद्रग्रहण का सूतक

पूर्ण चंद्रग्रहण 28 जुलाई को प्रात:काल 4 बजकर 24 मिनट और 36 सेकेंड पर आरंभ होगा। जो कि चंद्रमा के अस्त होने यानि 7 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। चंद्रोदय का समय 27 जुलाई को सांय 4 बजकर 55 मिनट रहेगा। इस चंद्र ग्रहण की अवधि लगभग 3 घंटे की रहेगी।

सूतक का समय 27 जुलाई की सांय 5 बजकर 29 मिनट पर आरंभ हो जायेगा जो कि 28 जुलाई को प्रात: 07 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। बच्चों एवं बुजूर्गों के लिये सूत्तक मध्यरात्रि 12 बजकर 26 मिनट और 26 सैकेंड से आरंभ होकर ग्रहण समाप्ति के समय तक रहेगा।

चन्द्रग्रहण – क्या करें, क्या ना करें

चंद्रग्रहण हो या सूर्यग्रहण एक सवाल हमेशा सामने आता है कि ग्रहण के दिन क्या करें क्या न करें। तो इस बारे में आपको सलाह दी जाती है कि –

  • चन्द्र ग्रहण के दिन बुजूर्ग, रोगी एवं बच्चों को छोड़कर घर के बाकि सदस्य भोजन न करें।
  • गर्भवती स्त्रियोँ को ग्रहण में घर के अंदर ही रहने की सलाह दी जाती है दरअसल माना जाता है कि ग्रहण के दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो रहा होता है इसलिये घर में रहकर मंत्रोंच्चारण करें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • किसी भी प्रकार के शुभ कार्य ग्रहण के दिन न करें।
  • अपने मन में दुर्विचारों को न पनपने दें। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और अपने आराध्य देव का ध्यान लगायें।
  • जिन जातकों की कुंडली में शनि की साढ़े साती या ढईया का प्रभाव चल रहा है, वे शनि मंत्र का जाप करें एवं हनुमान चालीसा का पाठ भी अवश्य करें।
  • जिन जातकों की कुंडली में मांगलिक दोष है, वे इसके निवारण के लिये चंद्रग्रहण के दिन सुंदरकांड का पाठ करें तो इसके सकारात्मक परिणाम मिलेंगें।
  • आटा, चावल, चीनी, श्वेत वस्त्र, साबुत उड़द की दाल, सतनज, काला तिल, काला वस्त्र आदि किसी गरीब जरुरतमंद को दान करें।

ग्रहों का अशुभ फल समाप्त करने और विशेष मंत्र सिद्धि के लिये इस दिन नवग्रह, गायत्री एवं महामृत्युंजय आदि शुभ मंत्रों का जाप करें। दुर्गा चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम, श्रीमदभागवत गीता, गजेंद्र मोक्ष आदि का पाठ भी कर सकते हैं।

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ईश्वर को ना कोसें Never Complain to God

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बहादुर सिंह गाँव के संपन्न किसानों में से एक थे। भरा पूरा घर था, किसी चीज़ की कमी ना थी। कमी थी तो बस एक चीज़ की, भगवान ने जितना दिया उससे कभी खुश नहीं रहते थे। बहादुर सिंह को हमेशा भगवान से यही शिकायत रहती थी कि भगवान ने मेरे लिए कुछ नहीं किया। मैंने अपनी मेहनत से बड़ी हवेली बनायी है लेकिन भगवान ने मेरे कामों को बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। मैंने तो जीवन में जो पाया है खुद ही करके पाया है। समय का पहिया तेजी से घूमता गया, बचपन गुजरा, जवानी गयी, अब बहादुर

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जिनके हृदय श्री राम बसे, तिन और का नाम लियो ना लियो …

मेरा आपकी कृपा से, सब काम हो रहा है, करते हो तुम कन्हैया …

हनुमान बजरंग बाण – जय हनुमन्त सन्त हितकारी, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी …

अपना नया YouTube Channel Kaise Banaye Jane in Hindi

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आइये सीखें कि एक नया Youtube Channel कैसे बनाये और उस पर वीडियो अपलोड कैसे करे. YouTube दुनिया का सबसे बड़ा वीडियो प्लेटफॉर्म है जहां रोजाना करोड़ों लोग वीडियो देखते हैं| आप भी अपनी वीडियो को लोगों के सामने लायें, इससे आपकी पहचान बनेगी, आप famous होने लगेंगे और साथ ही आप Youtube से कमाई भी कर सकते हैं| पुराने समय में फेमस होने के लिए टीवी ही एकमात्र जरिया होता था और टीवी पर खुद को लाने के लिए लोगों को बहुत मेहनत करनी होती थी लेकिन आज YouTube की वजह से आप अपने स्किल को बड़ी आसानी से

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गुरु पूर्णिमा 2018 – आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु की पूजा करने का पर्व

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गुरु पूर्णिमा 2018 – Guru Purnima in Hindi

आपने यह पंक्ति तो जरूर सुनी ही होगी ..

गुरु गोविन्द दोनों खड़े काके लागू पाये,

बलिहारी गुरु आपनी, जिन्हे गोविन्द दियो मिलाय।

हिन्दू शास्त्रों में गुरू की महिमा अपरंपार बताई गयी है। गुरू बिन, ज्ञान नहीं प्राप्त हो सकता है, गुरू बिन संसार सागर से, आत्मा भी मुक्ति प्राप्त नहीं कर सकती है। गुरू को भगवान से भी ऊपर दर्जा दिया गया है। चंद शब्दों में गुरू के प्रताप को बताया जाए तो शास्त्रों में लिखा है कि अगर भगवान से श्रापित कोई है तो उसे गुरू बचा सकता है किन्तु गुरू से श्रापित व्यक्ति को भगवान भी नहीं बचा पाते हैं।

आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा को गुरु की पूजा की जाती है। पूरे भारत में यह पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। प्राचीन काल में जब विद्यार्थी गुरु के आश्रम में नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करते थे तो इसी दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर अपने गुरु की पूजा का आयोजन करते थे। इस दिन केवल गुरु की ही नहीं किन्तु अपने घर में अपने से जो बड़ा है अर्थात पिता और माता, भाई-बहन आदि को भी गुरुतुल्य समझ कर उनकी पूजा की जाती है।

हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। वेदव्यास जी ने 18 पुराणों एवं 18 उपपुराणों की रचना की थी। महाभारत एवं श्रीमद् भागवत् शास्त्र इनके प्रमुख रचित शास्त्र हैं। इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।

क्यों वर्षा ऋतु में मनाई जाती है गुरू पूर्णिमा ?

गुरू पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरंभ में मनाई जाती है। इस दिन से प्रारम्भ कर, अगले चार महीने तक परिव्राजक और साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर, गुरू से ज्ञान प्राप्त करते हैं। क्योकि यह चार महीने मौसम के हिसाब से अनुकूल रहते हैं, इसलिए गुरुचरण में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।

साल 2018 में कब है गुरू पूर्णिमा ?

साल 2018 में गुरू पूर्णिमा को जुलाई महीने की 27 तारीख को मनाया जाने वाला है। इस दिन हम अपने इष्टदेव, जिनको हम अपना भगवान मानते हैं इनका ध्यान भी मंत्र जाप विधि से कर सकते हैं। अगर व्यक्ति ने जाने-अनजाने किसी भी तरह की कोई गलती की है या गलती हो गयी है तो अपने गुरू से माफ़ी लेनी चाहिए।

गुरु पूर्णिमा तिथि व महूर्त

गुरु पूर्णिमा तिथि – 27 जुलाई 2018

गुरु पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 23:16 बजे (26 जुलाई 2018)

गुरु पूर्णिमा तिथि समाप्त – 01:50 बजे (28 जुलाई 2018)

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गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंत …

{15 अगस्त} Independence Day Shayari in Hindi – स्वतंत्रता दिवस पर शायरी

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स्वतंत्रता दिवस पर शायरी 2018 संस्कार और संस्कृति की शान मिले ऐसे हिन्दू मुस्लिम और हिंदुस्तान मिले ऐसे हम मिल जुल कर रहे ऐसे कि मंदिर में अल्लाह और मस्जिद में राम मिले जैसे Hindi Independence Day Shayari दे सलामी इस तिरंगे को जिस से तेरी शान है सर हमेशा ऊँचा रखना इसका जब तक दिल में जान है Shayari for Independence Day in Hindi अब तक जिसका खून न खौला वो खून नहीं वो पानी है जो देश के काम ना आये वो बेकार जवानी है   Independence Day Shayari Quotes in Hindi मैं भारत बरस का हरदम अमित

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आषाढ़ पूर्णिमा 2018 – जानें गोपद्म व्रत और गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि

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आषाढ़ पूर्णिमा 2018 – Ashadh Purnima 2018

वैसे तो प्रत्येक माह की पूर्णिमा तिथि धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होती है लेकिन आषाढ़ माह की पूर्णिमा और भी खास होती है। आषाढ़ पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है साथ ही इस दिन गोपद्म व्रत भी रखा जाता है। इस पूर्णिमा को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। आइये जानते हैं आषाढ़ पूर्णिमा के महत्व व व्रत विधि के बारे में।

आषाढ़ पूर्णिमा का महत्व – Ashadha Purnima Importance

हिंदूओं में पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह का नामकरण पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा जिस नक्षत्र में विद्यमान होता है उसी के अनुसार रखा गया है। मान्यता है कि आषाढ़ माह की पूर्णिमा को चंद्रमा पूर्वाषाढ़ा या उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में होता है। यदि आषाढ़ मास में पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा उत्ताराषाढ़ा नक्षत्र में रहे तो वह पूर्णिमा बहुत ही सौभाग्यशाली व पुण्य फलदायी मानी जाती है। ऐसे संयोग में दस विश्वदेवों की पूजा करने का विधान भी है।

आषाढ़ पूर्णिमा व गुरु पूर्णिमा – Ashadha Guru Purnima

आषाढ़ मास की पूर्णमासी को ही गुरु पूर्णिमा भी मनाई जाती है। आषाढ़ में गुरु पूर्णिमा मनाये जाने को ओशो ने अच्छे से व्याख्यायित किया है उनका मानना है कि जिसने भी गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ मास में चुना है इसके पिछे उसका कोई खयाल है कोई ईशारा है। क्योंकि आषाढ़ पूर्णिमा तो पूर्णिमा सी नज़र भी नहीं आती उससे सुंदर और भी पूर्णिमाएं हैं शरद पूर्णिमा है जिसका चांद बहुत सुंदर होता है लेकिन नहीं उसे नहीं चुना। इसका कारण यह है कि गुरु तो पूर्णिमा जैसा है और शिष्य है आषाढ़ जैसा। आषाढ़ में चंद्रमा बादलों से घिरा रहता है। यानि गुरु शिष्यों से घिरा है। शरद पूर्णिमा पर अकेला चांद चमकता नज़र आता है वहां गुरु ही है शिष्य है ही नहीं। जन्म-जन्मांतर के अज्ञान रूपी अंधकार स्वरूपी बादल ही शिष्य हैं जिनमें गुरु चांद की तरह अपनी चमक से अंधेरे वातावरण को चिर कर उसमें रोशनी पैदा करता है। इसलिये आषाढ़ पूर्णिमा में ही गुरु पूर्णिमा की सार्थकता है।

आषाढ़ पूर्णिमा पर गोपद्म व्रत – Ashadha Purnima Gopadm Vrat

आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को ही गोपद्म व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि गोपद्म व्रत सभी प्रकार के सुख प्रदान करने वाला होता है।

आषाढ़ पूर्णिमा व गोपद्म व्रत पूजा की विधि – Ashadha Purnima Gopadm Vrat Vidhi

हिंदूओं के विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में विभिन्न पर्व-त्योहारों व व्रतों पर विशेष पूजा करने के विधान हैं। शास्त्रानुसार आषाढ़ पूर्णिमा पर रखे जाने वाले गोपद्म व्रत की विशेष विधि है। गोपद्म व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। हालांकि देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार मास तक के लिये सो जाते हैं लेकिन गोपद्म व्रत के दिन उन्हीं की पूजा की जाती है। इसके लिये व्रती को प्रात:काल उठकर स्नानादि के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिये।

व्रत के पूरे दिन भगवान श्री विष्णु में ध्यान लगाये रखना चाहिये। उनके चतुर्भुज रूप का स्मरण करना चाहिये जिसमें वे गरूड़ पर सवार हों और संग में माता लक्ष्मी का भी ध्यान लगाना चाहिये। समस्त देवी-देवता उनका स्तुतिगान कर रहे हैं उनकी आराधना कर रहे हैं ऐसा सोचना चाहिये। धूप, दीप, पुष्प, गंध आदि से विधिनुसार पूजा करनी चाहिये। भगवान श्री हरि के पूजन के पश्चात विद्वान ब्राह्मण या किसी जरूरदमंद को भोजन करवाकर सामर्थ्यनुसार दान-दक्षिणा देकर प्रसन्न करना चाहिये।

मान्यता है कि यदि पूरी श्रद्धा के साथ इस व्रत का पालन किया जाये तो इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं एवं व्रती की मनोकामना को पूर्ण करते हैं। संसार में रहते समस्त भौतिक सुखों का आनंद लेकर अंत काल में व्रती को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

2018 में आषाढ़ पूर्णिमा व गोपद्म व्रत – Ashadha Purnima Gopadm Vrat In 2018

साल 2018 में आषाढ़ पूर्णिमा की तिथि तो 27 जुलाई है लेकिन इस पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण भी रहेगा। जो कि 28 जुलाई तक रहेगा।

आषाढ़ पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 23:16 बजे (26 जुलाई 2018)

आषाढ़ पूर्णिमा तिथि समाप्त – 01:50 बजे (28 जुलाई 2018)

चंद्र ग्रहण आरंभ – 23:54 बजे (27 जुलाई 2018)

चंद्र ग्रहण समाप्त – 03:49 बजे (28 जुलाई 2018)

चंद्र ग्रहण सूतक आरंभ – 12:27 बजे से (27 जुलाई 2018)

चंद्र ग्रहण सूतक समाप्त – 03:49 बजे (28 जुलाई 2018)

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{श्री कृष्ण} Janmashtami Shayari in Hindi – जन्माष्टमी शायरी शुभकामनायें

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माखनचोर श्री कृष्ण के जन्मदिवस पर कुछ Janmashtami Shayari in Hindi आपके सामने प्रस्तुत हैं| जन्माष्टमी पर यह सुविचार आप अपने सगे सम्बन्धियों को भी भेजिए और शुभकामनायें दीजिये| जब भी श्री कृष्ण का नाम सुनते हैं तो हमारे मानसपटल पर एक चित्र उत्पन्न हो जाता है| सिर पर मोर के पंख का मुकुट, हाथ में बंसी, पीले वस्त्र, नीला शरीर और मोहक मुस्कान… ऐसा रूप है हमारे कृष्ण कन्हैया का| माँ यशोदा के लाडले श्री कृष्ण, भगवान विष्णु के अवतार हैं| श्री कृष्ण की बाल लीलाओं से कौन परिचित नहीं है| समस्त संसार को अपनी मुरली की धुन का

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चंद्र ग्रहण 2018 – जाने कब लगेगा सूतक, ग्रहण के दौरान क्या करे और क्या न करे …

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चंद्र ग्रहण 2018 – Lunar Eclipse July 2018

चंद्रग्रहण (Moon Eclipse in Hindi) और सूर्य ग्रहण के बारे में प्राथमिक शिक्षा के दौरान ही विज्ञान की पुस्तकों में जानकारी दी जाती है कि ये एक प्रकार की खगोलीय स्थिति होती हैं। जिनमें चंद्रमा, पृथ्वी के और पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर चक्कर काटते हुए जब तीनों एक सीधी रेखा में अवस्थिति होते हैं। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है और चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया से होकर गुजरता है तो उसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है ऐसा केवल पूर्णिमा को ही संभव होता है। इसलिये चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा को ही होता है। वहीं सूर्यग्रहण के दिन सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आता है जो कि अमावस्या को संभव है। ब्रह्मांड में घटने वाली यह घटना है तो खगोलीय लेकिन इसका धार्मिक महत्व भी बहुत है। इसे लेकर आम जन मानस में कई तरह के शकुन-अपशकुन भी व्याप्त हैं। माना जाता है कि सभी बारह राशियों पर ग्रहण का प्रभाव पड़ता है। तो आइये जानते हैं कि 2018 में चंद्र ग्रहण कब और कितनी बार नज़र आयेगा।

2018 में कब है चंद्रग्रहण 

साल 2018 का दूसरा चंद्र ग्रहण 27-28 जुलाई को लगेगा। यह चंद्रग्रहण पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। पहला चंद्रग्रहण 31 जनवरी 2018 को लगा था।

कहां कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण

पहले चंद्रग्रहण की तरह दूसरा चंद्रग्रहण भी पूर्ण ग्रहण है जो कि 27-28 जुलाई को लगेगा। पूर्ण रूप से लगने वाला यह ग्रहण भारत सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में भी देखा जा सकेगा।

किस समय लगेगा चंद्रग्रहण का सूतक

पूर्ण चंद्रग्रहण 28 जुलाई को प्रात:काल 4 बजकर 24 मिनट और 36 सेकेंड पर आरंभ होगा। जो कि चंद्रमा के अस्त होने यानि 7 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। चंद्रोदय का समय 27 जुलाई को सांय 4 बजकर 55 मिनट रहेगा। इस चंद्र ग्रहण की अवधि लगभग 3 घंटे की रहेगी।

सूतक का समय 27 जुलाई की सांय 5 बजकर 29 मिनट पर आरंभ हो जायेगा जो कि 28 जुलाई को प्रात: 07 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। बच्चों एवं बुजूर्गों के लिये सूत्तक मध्यरात्रि 12 बजकर 26 मिनट और 26 सैकेंड से आरंभ होकर ग्रहण समाप्ति के समय तक रहेगा।

चन्द्रग्रहण – क्या करें, क्या ना करें

चंद्रग्रहण हो या सूर्यग्रहण एक सवाल हमेशा सामने आता है कि ग्रहण के दिन क्या करें क्या न करें। तो इस बारे में आपको सलाह दी जाती है कि –

  • चन्द्र ग्रहण के दिन बुजूर्ग, रोगी एवं बच्चों को छोड़कर घर के बाकि सदस्य भोजन न करें।
  • गर्भवती स्त्रियोँ को ग्रहण में घर के अंदर ही रहने की सलाह दी जाती है दरअसल माना जाता है कि ग्रहण के दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो रहा होता है इसलिये घर में रहकर मंत्रोंच्चारण करें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • किसी भी प्रकार के शुभ कार्य ग्रहण के दिन न करें।
  • अपने मन में दुर्विचारों को न पनपने दें। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और अपने आराध्य देव का ध्यान लगायें।
  • जिन जातकों की कुंडली में शनि की साढ़े साती या ढईया का प्रभाव चल रहा है, वे शनि मंत्र का जाप करें एवं हनुमान चालीसा का पाठ भी अवश्य करें।
  • जिन जातकों की कुंडली में मांगलिक दोष है, वे इसके निवारण के लिये चंद्रग्रहण के दिन सुंदरकांड का पाठ करें तो इसके सकारात्मक परिणाम मिलेंगें।
  • आटा, चावल, चीनी, श्वेत वस्त्र, साबुत उड़द की दाल, सतनज, काला तिल, काला वस्त्र आदि किसी गरीब जरुरतमंद को दान करें।

ग्रहों का अशुभ फल समाप्त करने और विशेष मंत्र सिद्धि के लिये इस दिन नवग्रह, गायत्री एवं महामृत्युंजय आदि शुभ मंत्रों का जाप करें। दुर्गा चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम, श्रीमदभागवत गीता, गजेंद्र मोक्ष आदि का पाठ भी कर सकते हैं।

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देवशयनी एकादशी 2018 – जानें देवशयनी एकादशी की व्रतकथा व पूजा विधि

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देवशयनी एकादशी 2018 – Devshayani Ekadashi

साल भर में आषाढ़ महीने की शुक्ल एकादशी से लेकर कार्तिक महीने की शुक्ल एकादशी तक यज्ञोपवीत संस्कार, विवाह, दीक्षाग्रहण, ग्रहप्रवेश, यज्ञ आदि धर्म कर्म से जुड़े जितने भी शुभ कार्य होते हैं वे सब त्याज्य होते हैं। इसका कारण यह है कि आषाढ़ महीने की शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु चार मास के लिये सो जाते हैं इसलिये इसे देवशयनी और पदमा एकादशी भी कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार श्री हरि के शयन को योगनिद्रा भी कहा जाता है। आइये जानते हैं देवशयनी एकादशी की कथा और इसके महत्व के बारे में।

देवशयनी एकादशी व्रत कथा – Devshayani Ekadashi Vrat Katha

देवशयनी एकादशी को पौराणिक ग्रंथों के अनुसार बहुत महत्व दिया जाता है। इसका कारण यही है कि इस दिन भगवान विष्णु चार मास के लिये योगनिद्रा में चले जाते हैं जिस कारण शुभ कार्यों को इस दौरान करने की मनाही होती है। इसके बाद कार्तिक मास की शुक्ल एकादशी जिसे प्रबोधनी एकादशी कहा जाता है को भगवान विष्णु निद्रा से उठते हैं उसके बाद फिर से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। देवशयनी एकादशी के महत्व को इस पौराणिक कथा के जरिये और भी अच्छे से समझा जा सकता है हुआ यूं कि एक बार ब्रह्मा जी से देवर्षि नारद ने आषाढ़ मास की शुक्ल एकादशी के बारे में जानने की इच्छा प्रकट की तब ब्रह्मा जी नारद को इस एकादशी की कथा सुनाने लगे।

सतयुग की बात है कि माधांता नाम के चक्रवर्ती सम्राट हुआ करते थे, वह बहुत ही पुण्यात्मा, धर्मात्मा राजा थे, प्रजा भी उनके राज में सुखपूर्वक अपना गुजर-बसर कर रही थी, लेकिन एक बार क्या हुआ कि तीन साल तक लगातार उनके राज्य में आसमान से पानी की एक बूंद नहीं बरसी, खाली सावन आते रहे और धरती की दरारें बढ़ने लगीं। जनता भी भूखों मरने लगी, अब धर्म-कर्म की सुध किसे रहती अपना पेट पल जाये यही गनीमत थी। प्रजा राजा के पास अपना दुखड़ा लेकर जाने के सिवा और कहां जा सकती थी। राजा बेचारे पहले से ही दुखी थे, जनता के आने से उनका दुख और बढ़ गया।

अब राजा को न रात को नींद न दिन में चैन हमेशा इसी परेशानी में रहते कि मुझसे ऐसा कौनसा अपराध हुआ जिसका दंड मेरी प्रजा को भोगना पड़ रहा है। राजा अपनी शंका लेकर वनों में ऋषि मुनियों के पास गया। चलते-चलते वह ऋषि अंगिरा (ब्रह्मा जी के पुत्र) के आश्रम में पंहुच गया। उन्हें दंडवत प्रणाम कर राजा ने अपनी शंका ऋषि के सामने प्रकट करते हुए अपने आने का उद्देश्य बताया। उस समय (सतयुग) में ज्ञान ग्रहण करने का अधिकार केवल ब्राह्मणों को ही होता था और अन्य वर्णों विशेषकर शूद्रों के लिये तो यह वर्जित था और इसे पाप माना जाता था। ऋषि कहने लगे राजन आपके शासन में एक शूद्र नियमों का उल्लंघन कर शास्त्र शिक्षा ग्रहण कर रहा है। इसी महापाप का खामियाज़ा तुम्हारी सारी प्रजा उठा रही है। प्रजा को इस विपदा से उबारने के लिये तुम्हें उसका वध करना होगा।

लेकिन राजा का मन यह नहीं मान रहा था कि वह मात्र शिक्षा ग्रहण करने को ही अपराध मान लिया जाये उन्होंने कहे हे गुरुवर क्या कोई अन्य मार्ग नहीं है जिससे उस निरपराध की हत्या के पाप से मैं बच सकूं। तब अंगिरा ऋषि कहने लगे एक उपाय है राजन। तुम आषाढ़ मास की शुक्ल एकादशी के व्रत का विधिवत पालन करो तुम्हारे राज्य में खुशियां पुन: लौट आयेंगी। राजा वहां से लौट आया और आषाढ़ महीने की शुक्ल एकादशी आने पर व्रत का विधिवत पालन किया। राज्य में जोर की बारिश हुई और प्रजा फिर से धन-धान्य से निहाल हो गई।

देवशयनी एकादशी की व्रत कथा यह भी है

धार्मिक ग्रंथों में यह भी मिलता है कि इसी एकादशी की तिथि को शंखासुर दैत्य मारा गया था जिसके बाद भगवान विष्णु इस दिन से आरंभ करके चार मास तक क्षीर सागर में शयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। पौराणिक ग्रंथों में एक अन्य कथा के अनुसार यह कहा जाता है कि जब भगवान श्री हरि वामन रुप में दैत्य बलि से यज्ञ में तीन पग दान के रुप में मांगते हैं तो वे पहले पग में वे समस्त दिशाओं सहित संपूर्ण पृथ्वी और आकाश को नाप लेते हैं दूसरे पग में उन्होंनें स्वर्ग को नाप लिया अब तीसरा पग रखने को कुछ भी शेष न बचा तो बलि ने अपना शीष आगे करते हुए निवेदन किया कि प्रभु अपना तीसरा पग मेरे शीष पर रखिये।

बलि के इस दान और समर्पण से खुश होकर भगवान विष्णु ने बलि को पाताल का अधिपति बना दिया और वर मांगने को कहा। बलि ने कहा प्रभु आप सदैव मेरे महल में रहें। अब भगवान विष्णु बलि के बंधन में बंध चुके थे ऐसे में माता लक्ष्मी जो कि भगवान विष्णु की भार्या हैं बहुत दुखी हुई उन्होंनें बलि को अनपा भाई बनाया बलि से भगवान को वचनमुक्त करने का अनुरोध किया। तब इसी दिन से भगवान विष्णु वर का पालन करते हुए चार मास तक देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक निवास करते हैं। इसके बाद महाशिवरात्रि तक भगवान शिव और शिवरात्रि से देवशयनी एकादशी तक ब्रह्मा जी बलि के यहां निवास करते हैं।

देवशयनी एकादशी व्रत व पूजा विधि – Devshayani Ekadashi Vrat Puja Vidhi

देवशयनी एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर साफ-सफाई कर नित्य कर्म से निवृत हो, स्नानादि के पश्चात घर में पवित्र जल का छिड़काव करें। पूजा स्थल पर भगवान श्री हरि यानि विष्णु जी की सोने, चांदी, तांबे या फिर पीतल की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद षोड्शोपचार सहित पूजा करें। पूजा के बाद व्रत कथा अवश्य सुननी चाहिये। तत्पश्चात आरती करें और प्रसाद बांटे और अंत में सफेद चादर से ढंके गद्दे तकिये वाले पलंग पर श्री विष्णु को शयन कराना चाहिये।

2018 में देवशयनी एकादशी – Devshayani Ekadashi Vrat In 2018

साल 2018 में देवशयनी एकादशी 23 जुलाई को है।

पारण का समय – 05:41 से 08:24 बजे तक (24 जुलाई 2018)

पारण के दिन द्वादशी तिथि समाप्त – 18:25

एकादशी तिथि प्रारंभ – 14:47 बजे से (22 जुलाई 2018)

एकादशी तिथि समाप्त – 16:23 बजे तक (23 जुलाई 2018)

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अपनों की कीमत – Mata Pita Ki Seva

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माता पिता की सेवा जरुरी है “एक बार जरुर पढे” कहानी – पढ़ाई पूरी करने के बाद एक छात्र किसी बड़ी कंपनी में नौकरी पाने की चाह में इंटरव्यू देने के लिए पहुंचा….   छात्र ने बड़ी आसानी से पहला इंटरव्यू पास कर लिया…   अब फाइनल इंटरव्यू कंपनी के डायरेक्टर को लेना था…   और डायरेक्टर को ही तय करना था कि उस छात्र को नौकरी पर रखा जाए या नहीं… डायरेक्टर ने छात्र का सीवी (curricular vitae) देखा और पाया कि पढ़ाई के साथ- साथ यह छात्र ईसी (extra curricular activities) में भी हमेशा अव्वल रहा… डायरेक्टर- “क्या

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पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा 14 जुलाई 2018 से शुरू – जाने जगन्नाथ मंदिर से जुड़े रहस्य और जरूरी बातें

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पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा 2018 – Puri Jagannath Rath Yatra

भगवान जगन्नाथ को विष्णु का 10वां अवतार माना जाता है, जो 16 कलाओं से परिपूर्ण हैं। पुराणों में जगन्नाथ धाम की काफी महिमा है, इसे धरती का बैकुंठ भी कहा गया है। यह हिन्दू धर्म के पवित्र चार धाम बद्रीनाथ, द्वारिका, रामेश्वरम और जगन्नाथ पुरी में से एक है। यहां भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं। यहां के बारे में मान्यता है कि श्रीकृष्ण, भगवान जगन्नाथ के रुप है और उन्हें जगन्नाथ (जगत के नाथ) यानी संसार का नाथ कहा जाता है। जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की पूजा की जाती है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा सबसे दाई तरफ स्थित है। बीच में उनकी बहन सुभद्रा की प्रतिमा है और दाई तरफ उनके बड़े भाई बलभद्र (बलराम) विराजते हैं।

स्वस्थ हुए भगवान जगन्नाथजी, कल रथ से जाएंगे मौसी के घर

भगवान जगन्नाथ रथयात्र के लिए पूरी तरह स्वस्थ हो गए हैं और उनके कपाट फिर से भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं। दरअसल मान्यता है कि ज्‍येष्‍ठ मास की पूर्णिमा से अमावस्‍या तक भगवान जगन्नाथजी बीमार रहते हैं और इन 15 दिनों में इनका उपचार शिशु की भांति चलता है जिसे अंसारा कहते हैं। आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा को भगवान स्वस्थ हो जाते हैं और द्वितीया तिथि को गुंडीचा मंदिर तक भगवान की रथ यात्रा निकलती है। इस वर्ष आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा तिथि क्षय है अमावस्या और प्रतिपदा एक ही दिन होने से आज ही प्रतिपदा के उत्सव मनाये गए हैं और कल 9 दिनों तक चलने वाली रथ यात्रा आरंभ होगी और भगवान अपनी मौसी के घर गुंडीचा मंदिर जाएंगे।

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जन्म-मरण के बंधन से हो जाते हैं मुक्त

भगवान जगन्नाथ की रथयात्र का उल्लेख स्कन्दपुराण में मिलता है। इस पुराण के अनुसार पुरी तीर्थ में स्नान करने से और जगन्नाथजी का रथ खींचने से सभी तीर्थों के दर्शन का पुण्य फल प्राप्त होता है और भक्त को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। मान्यता है कि इस रथयात्रा के रथ के शिखर के दर्शन से मात्र से ही मनुष्यों के कई जन्मों के पाप कट जाते हैं।

सबसे पीछे होता है भगवान जगन्नाथ का रथ

रथयात्रा में सबसे आगे दाऊ बलभद्रजी का रथ, उसके बाद बीच में बहन सुभद्राजी का रथ तथा सबसे पीछे भगवान जगन्नाथजी का रथ होता है। बलभद्र के रथ को ‘पालध्वज’ कहते हैं, उसका रंग लाल एवं हरा होता है। सुभद्रा के रथ को ‘दर्पदलन’ कहते हैं और उसका रंग एवं नीला होता है। वही भगवान जगन्नाथ के रथ को ‘गरुड़ध्वज’ या ‘नन्दीघोष’ कहते हैं और इसका रंग लाल व पीला होता है।

इस तरह पहुंचते हैं मौसी के घर

भगवान जगन्नाथ भाई और बहन के साथ पुरी मंदिर से रथ पर निकलकर गुंडीचा मंदिर पहुंचते हैं इस सफर को ही रथयात्रा कहा जाता है। गुंडीचा मंदिर को भगवान की मौसी का घर कहते हैं। यहां भगवान हफ्ते भर रहते हैं और आषाढ़ शुक्ल दशमी के दिन फिर से वापसी यात्रा होती है, जो मुख्य मंदिर पहुंचती है। यह बहुड़ा यात्रा कहलाती है।

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11वीं शताब्दी में करवाया गया था मंदिर का निर्माण

भगवान जगन्नाथ का प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर जिसका निर्माण 11वीं शताब्दी में करवाया गया था। देश की चार धाम तीर्थ यात्रा बद्रीनाथ, द्वारका और रामेश्वरम के साथ एक धाम पुरी जगन्नाथ पुरी भी है। पूरा मंदिर घूमने में करीब 1 घंटे का वक्त लगता है और यह मंदिर हफ्ते के सातों दिन सुबह साढ़े 5 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है। जब यह यात्रा निकाली जाती है, तब यहां की शोभा देखते ही बनती है।

रथयात्रा को लेकर कही गई हैं कई कहानियां

कुछ लोग मानते हैं कि कृष्ण की बहन सुभद्रा अपने मायके आई थीं तो उन्होंने अपने भाइयों से नगर भ्रमण करने की इच्छा जताई थी। तब कृष्ण और बलराम, सुभद्रा के साथ रथ में सवार होकर नगर घूमने गए थे। इसी के बाद से रथयात्रा का पर्व शुरू हुआ। इसके अलावा कहते यह भी हैं कि, गुंडीचा मंदिर में स्थित देवी, भगवान श्रीकृष्ण की मौसी हैं जो तीनों को अपने घर आने का निमंत्रण देती हैं।

नीलाम कर दी जाती हैं रथ की लकड़ी

बताया जाता है कि भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा तीनों के रथ नीम की लकड़ी से बनाए जाते हैं। भगवान की रथयात्रा के बाद रथों को लकड़ियों को नीलाम कर दिया जाता है। इस लकड़ी को भक्त बड़ी श्रद्धा से खरीदते हैं और अपने घरों में खिड़की, दरवाजे, पूजा स्थल आदि बनवाने में प्रयोग करते हैं।

 

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गोपाल राधा लोला, मुरली लोला नंदलाला …

राधे राधे मन बोले मन में अमृत रस घोले …

उतरे मुझमे आदियोगी – कैलाश खेर स्वरबद्ध अद्भुत भजन

अरबपतियों की सीख – Billionaire Slogans in Hindi

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Slogan of Billionaire in Hindi भविष्य अनुमान लगाने सही तरीका है – उसे बनाना जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी नहीं जीतते आपका समय सीमित है इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर व्यर्थ मत कीजिये सफलता की खुशी मनाना अच्छा है लेकिन उससे जरुरी है अपनी असफलता से सीख लेना साख बनाने में बीस साल लगते हैं और उसे गंवाने में बस पांच मिनट अगर आप इस बारे में सोचेंगे तो आप चीजें अलग तरीके से करेंगे एक बड़ी गलती जो लोग करते हैं वो है अपने ऊपर किसी रूचि को थोपने का

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गुप्त नवरात्र 2018 – जानिये गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि और पौराणिक कथा

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आषाढ़ गुप्त नवरात्री 2018 – Gupt Navratri Puja Vrat Vidhi

देवी दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि वही इस चराचर जगत में शक्ति का संचार करती हैं। उनकी आराधना के लिये ही साल में दो बार बड़े स्तर पर लगातार नौ दिनों तक उनके अनेक रूपों की पूजा की जाती है। 9 दिनों तक मनाये जाने वाले इस पर्व को नवरात्र कहा जाता है। जिसके दौरान मां के विभिन्न रूपों की पूजा आराधना की जाती है। इन नवरात्र को चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है।

लेकिन साल में दो बार नवरात्र ऐसे भी आते हैं जिनमें मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। यह साधना हालांकि चैत्र और शारदीय नवरात्र से कठिन होती है लेकिन मान्यता है कि इस साधना के परिणाम बड़े आश्चर्यचकित करने वाले मिलते हैं। इसलिये तंत्र विद्या में विश्वास रखने वाले तांत्रिकों के लिये यह नवरात्र बहुत खास माने जाते हैं। चूंकि इस दौरान मां की आराधना गुप्त रूप से की जाती है इसलिये इन्हें गुप्त नवरात्र भी कहा जाता है।

कब होते हैं गुप्त नवरात्र

चैत्र और आश्विन मास के नवरात्र के बारे में तो सभी जानते ही हैं जिन्हें वासंती और शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है लेकिन गुप्त नवरात्र आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में मनाये जाते हैं। गुप्त नवरात्र की जानकारी अधिकतर उन लोगों को होती है जो तंत्र साधना करते हैं।

गुप्त नवरात्र पौराणिक कथा

गुप्त नवरात्र के महत्व को बताने वाली एक कथा भी पौराणिक ग्रंथों में मिलती है कथा के अनुसार एक समय की बात है कि ऋषि श्रंगी एक बार अपने भक्तों को प्रवचन दे रहे थे कि भीड़ में से एक स्त्री हाथ जोड़कर ऋषि से बोली कि गुरुवर मेरे पति दुर्व्यसनों से घिरे हैं जिसके कारण मैं किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्य व्रत उपवास अनुष्ठान आदि नहीं कर पाती। मैं मां दुर्गा की शरण लेना चाहती हूं लेकिन मेरे पति के पापाचारों से मां की कृपा नहीं हो पा रही मेरा मार्गदर्शन करें। तब ऋषि बोले वासंतिक और शारदीय नवरात्र में तो हर कोई पूजा करता है सभी इससे परिचित हैं।

लेकिन इनके अलावा वर्ष में दो बार गुप्त नवरात्र भी आते हैं इनमें 9 देवियों की बजाय 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है। यदि तुम विधिवत ऐसा कर सको तो मां दुर्गा की कृपा से तुम्हारा जीवन खुशियों से परिपूर्ण होगा। ऋषि के प्रवचनों को सुनकर स्त्री ने गुप्त नवरात्र में ऋषि के बताये अनुसार मां दुर्गा की कठोर साधना की स्त्री की श्रद्धा व भक्ति से मां प्रसन्न हुई और कुमार्ग पर चलने वाला उसका पति सुमार्ग की ओर अग्रसर हुआ उसका घर खुशियों से संपन्न हुआ। कुल मिलाकर गुप्त नवरात्र में भी माता की आराधना करनी चाहिये।

क्या है गुप्त नवरात्र की पूजा विधि

जहां तक पूजा की विधि का सवाल है मान्यतानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान भी पूजा अन्य नवरात्र की तरह ही करनी चाहिये। नौ दिनों तक व्रत का संकल्प लेते हुए प्रतिपदा को घटस्थापना कर प्रतिदिन सुबह शाम मां दुर्गा की पूजा की जाती है। अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं के पूजन के साथ व्रत का उद्यापन किया जाता है। वहीं तंत्र साधना वाले साधक इन दिनों में माता के नवरूपों की बजाय दस महाविद्याओं की साधना करते हैं।

ये दस महाविद्याएं मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी हैं। लेकिन एस्ट्रोयोगी की सभी साधकों से अपील है कि तंत्र साधना किसी प्रशिक्षित व सधे हुए साधक के मार्गदर्शन अथवा अपने गुरु के निर्देशन में ही करें। यदि साधना सही विधि से न की जाये तो इसके प्रतिकूल प्रभाव भी साधक पर पड़ सकते हैं।

वर्ष 2018 में कब हैं गुप्त नवरात्र

वर्ष 2018 में आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्र के रूप में मनाये जायेगें। अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार यह नवरात्र 13 से 21 जुलाई 2018 तक रहेंगें। नवरात्र पारण 21 जुलाई को नवमी-दशमी के दिन होगा।

माघ मास में पड़ने वाले गुप्त नवरात्र 5 फरवरी 2019 से शुरु होंगे व 14 फरवरी तक रहेंगें। नवरात्रि व्रत का पारण 14 फरवरी 2019 को होगा।

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निर्वाणषटकम् – चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् …

शिव पंचाक्षर स्त्रोतम – नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय …

तुला राशि में बृहस्पति ने चली सीधी चाल – जाने किन राशियों के करियर में आयेगा उछाल

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गुरु की चाल तुला से वृश्चिक – Jupiter Transition Libra to Scorpio 

ज्ञान के कारक और देवताओं के गुरु माने जाने वाले बृहस्पति की ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बहुत अधिक मान्यता है। गुरु बिगड़ी को बनाने, बनते हुए को बिगाड़ने में समर्थ माने जाते हैं। वर्तमान में गुरु तुला राशि में वक्री गोचर कर रहे हैं। 11 जुलाई प्रात: काल 3 बजकर 16 मिनट पर वक्री गुरु की चाल बदल जायेगी और तुला राशि में ही वे वक्री से से मार्गी हो जायेंगें। और इसी चाल से चलते हुए 11 अक्टूबर को तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। इस बीच अगले चार महीने तक गुरु का सीधी चाल चलना ज्योतिषशास्त्र में शुभ माना गया है।

जिस तरह वक्री गुरु की उल्टी चाल ने आपको प्रभावित किया है उसी तरह उनका मार्गी होना भी भाव स्थान के अनुसार शुभाशुभ परिणाम लाने वाला रहेगा। गुरु का मार्गी होना अधिकतर राशियों के लिये शुभ संकेत हैं। इससे आपकी करियर, लव व हेल्थ लाइफ में आप बेहतर बदलाव देख सकते हैं। राशिनुसार गुरु आपके लिये क्या परिणाम लेकर आ सकते हैं आइये जानते हैं।

मेष राशि पर गुरु की बदली चाल का शुभाशुभ प्रभाव

मेष राशि वालों के लिये सप्तम भाव में गुरु मार्गी हो रहे हैं। पिछले कुछ समय से यदि आप अपने दांपत्य जीवन में किसी तरह की परेशानी से झूझ रहे हैं तो इस समय आपको इन समस्याओं से राहत मिल सकती है। लाभ में भी जो कमी आपको महसूस हो रही थी वह भी दूर होने के आसार हैं। स्वास्थ्य के स्तर पर भी आप अपने जीवन में बेहतर बदलाव देख सकते हैं। नये घर या नई गाड़ी या फिर किसी नये कार्य के आरंभ होने के योग भी देव गुरु बृहस्पति आपके लिये बना रहे हैं।

वृषभ राशि पर गुरु की बदली चाल का शुभाशुभ प्रभाव

वृषभ राशि वालों के लिये छठे घर में बृहस्पति का मार्गी होना लंबे समय से अटके पड़े कार्यों में तेजी लाने वाला रह सकता है। स्वास्थ्य यदि आपका साथ नहीं दे रहा था या फिर किसी शत्रु ने आपको परेशान कर रखा था तो इस समय आपको दोनों से छुटकारा मिल सकता है। किसी के साथ विवाद चल रहा है तो वह भी आपसी समझ से समाप्त किया जा सकता है। कार्योन्नति के संकेत आपके लिये नज़र आ रहे हैं। यदि लंबे समय से धन में बचत करने के प्रयास में सफलता नहीं मिल रही तो इस समय संचित धन में वृद्धि होने के प्रबल आसार नज़र आ रहे हैं। छोटी दूरी की यात्राएं भी आपको करनी पड़ सकती हैं।

मिथुन राशि पर गुरु की बदली चाल का शुभाशुभ प्रभाव

आपकी राशि से बृहस्पति पंचम घर में मार्गी हो रहे हैं। कार्यक्षेत्र के लिये समय अच्छा रह सकता है। लंबित कार्य बनने की संभावनाएं बन रही हैं। कार्यस्थल पर माहौल आपके अनुकूल रहेगा, सहकर्मियों का परस्पर सहयोग बने रहने के आसार हैं। कुल मिलाकर गुरु आपके लिये करियर के मामले में उन्नति के संकेत कर रहे हैं।

कर्क राशि पर गुरु की बदली चाल का शुभाशुभ प्रभाव 

कर्क राशि वालों के लिये चौथे भाव में गुरु ग्रह का प्रोग्रेसिव होना कामकाजी जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करने वाला रह सकता है। इस समय कुछ जातक राजनीति के क्षेत्र में हाथ आजमाने का विचार बना सकते हैं। कर्क जातकों का रूख राजनीति की ओर झुका रह सकता है। इस समय आपके लिये यात्राओं के योग भी बन रहे हैं जिनके सफल व लाभकारी रहने की उम्मीद लगाई जा सकती है। जो जातक धन निवेश करने के लिये उचित समय के इंतजार में थे उनके लिये यह समय सही नज़र आ रहा है।

सिंह राशि पर गुरु की बदली चाल का शुभाशुभ प्रभाव 

आपकी राशि से तीसरे यानि पराक्रम भाव में बृहस्पति मार्गी हो रहे हैं। कामकाज में मन उत्साहित रहने के आसार हैं। भाग्य का भी आपको भरपूर साथ मिल सकता है। दांपत्य जीवन का आनंद भी आपको मिल सकता है। हाल ही में यदि आपके पार्टनर के साथ किसी तरह का विवाद हुआ है तो इस समय उन्हें मनाना आपके लिये आसान हो सकता है। व्यवसायी जातकों के लिये भी गुरु की चाल में आया यह बदलाव लाभकारी कहा जा सकता है।

कन्या राशि पर गुरु की बदली चाल का शुभाशुभ प्रभाव 

कन्या राशि वालों के लिये दूसरे स्थान यानि धन भाव में गुरु की चाल बदल रही है। ऐसे में धन लाभ की संभावनाएं तो आपके लिये बन ही रही है साथ ही रूके हुए कार्य भी आगे बढ़ने के संकेत हैं। शत्रु व रोगों से भी आपको छुटकारा मिल सकता है. इस समय लाभकारी यात्राएं भी आप कर सकते हैं। जो कार्य लंबे समय से अटके पड़े हैं उनमें आपको सफलता मिल सकती है।

तुला राशि पर गुरु की बदली चाल का शुभाशुभ प्रभाव 

आपकी ही राशि में बृहस्पति लंबे समय से वक्री होकर गोचररत हैं जिनकी चाल में बदलाव हुआ है। आपकी ही राशि में बृहस्पति के मार्गी होने से कामकाज में आ रही रूकावटें दूर हो सकती हैं जिससे आपके कार्यों में अचानक तेजी आप देख सकते हैं। संतान, शिक्षा व संबंधों के मामले में भी समय आपके लिये लाभकारी योग बना रहा है। रोमांटिक लाइफ में भी लाइफ पार्टनर से रिश्ते मधुर रहने के आसार हैं। कार्यक्षेत्र में स्थान परिवर्तन आपको करना पड़ सकता है ऐसे योग भी आपके लिये बन रहे हैं।

वृश्चिक राशि पर गुरु की बदली चाल का शुभाशुभ प्रभाव 

बृहस्पति आपकी राशि से 12वें घर में मार्गी हो रहे हैं। निवेश करने के मामले में यह समय लाभकारी रहने के आसार हैं। इस समय आप सुख समृद्धि में वृद्धि की उम्मीद भी कर सकते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे जातकों के लिये भी समय अनुकूल रह सकता है व आप अपने प्रतिद्वंदियों को मात दे सकते हैं। बिजनेस व राजनीति से जुड़े जातक भी अपने विरोधियों पर हावि रह सकते हैं। सेहत के मामले में भी यह समय आपके लिये सुधार के संकेत कर रहा है।

धनु राशि पर गुरु की बदली चाल का शुभाशुभ प्रभाव 

धनु राशि के स्वामी स्वयं बृहस्पति हैं जो कि आपकी राशि से लाभ घर में मार्गी हुए हैं। हो सकता है राशि स्वामी के वक्र होने से आपको कामकाजी जीवन में अनेक तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा हो लेकिन अब एक एक कर वह सारी समस्याएं आपको दूर होती नज़र आ सकती हैं। जो लोग आपके काम में अड़ंगा अड़ा रहे थे वही आपका सहयोग करते हुए भी नज़र आ सकते हैं। हालांकि इसके लिये आपमें कार्यकौशल के साथ-साथ व्यावहारिक कौशल भी होना चाहिए। संतान व संबंधों की बात करें तो कह सकते हैं कि आपकी पर्सनल लाइफ के लिये भी समय अनुकूल है। यदि साथी से किसी तरह की अनबन चल रही है तो वह दूर हो सकती है।

मकर राशि पर गुरु की बदली चाल का शुभाशुभ प्रभाव 

मकर राशि वालों के लिये बृहस्पति कर्मभाव में मार्गी हुए हैं। कामकाजी जीवन के लिये समय बहुत अच्छा रहने के आसार हैं। आपके कार्यों में तेजी रहने की उम्मीद कर सकते हैं। अभी तक यदि किसी तरह की परेशानियां कार्यक्षेत्र में झेलनी पड़ी हैं तो उनसे राहत मिल सकती है। धन संपदा व भौतिक सुख साधनों में भी वृद्धि हो सकती है कुल मिलाकर कहना यह है कि जो जातक लंबे समय से अपने लिये घर या गाड़ी संजोने का सपना देख रहे हैं और उसके लिये इधर उधर हाथ पैर मार रहे हैं उनके प्रयास रंग ला सकते हैं। रोमांटिक लाइफ में भी आप अपने रूठे हुए साथी को मनाने का हुनर जान सकते हैं।

कुंभ राशि पर गुरु की बदली चाल का शुभाशुभ प्रभाव 

कुंभ राशि वालों के लिये बृहस्पति का भाग्य स्थान में मार्गी होना बहुत ही सौभाग्यशाली कहा जा सकता है। भाग्य इस समय आपका पूरा साथ दे सकता है। आपके जीवन में यदि कोई परेशानी चल रही है तो उससे भी आपको राहत मिल सकती है। स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं से भी आप मुक्ति पा सकते हैं। पराक्रम के मामले में भी समय आपके लिये लाभकारी है यानि कार्यस्थल पर भी आपका प्रदर्शन सराहनीय रह सकता है। शिक्षा, संतान व प्रेम संबंधों में मधुरता के संयोग बन रहे हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी आपको सफलता मिल सकती है।

मीन राशि पर गुरु की बदली चाल का शुभाशुभ प्रभाव 

मीन राशि के स्वामी स्वयं बृहस्पति हैं जो कि आपकी राशि से अष्टम भाव में मार्गी हो रहे हैं। यह समय आपके लिये स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों में कमी लाने वाला रह सकता है। धन निवेश के मामले में यह समय अनुकूल कहा जा सकता है। बचत में भी वृद्धि के संकेत मिल रहे हैं या फिर हो सकता है आप अपनी सुख सुविधाओं में बढ़ोतरी के लिये प्रयास करें।

 

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WhatsApp Se Paise Kaise Kamaye [खाली टाइम में कमाओ]

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सूर्य ग्रहण 2018 – 13 जुलाई को साल का दूसरा सूर्यग्रहण, जानें समय और राशि पर प्रभाव

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सूर्य ग्रहण 2018 – Solar Eclipse – 2018 में कब लगेगा सूर्य ग्रहण ?

ग्रहण इस शब्द में ही नकारात्मकता झलकती है। एक प्रकार के संकट का आभास होता है, लगता है जैसे कुछ अनिष्ट होगा। ग्रहण एक खगोलीय घटना मात्र नहीं हैं एक और जहां इसका वैज्ञानिक महत्व है तो दूसरी और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह एक आध्यात्मिक घटना होती है जिसका जगत के समस्त प्राणियों पर काफी प्रभाव पड़ता है। विशेषकर सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण का। साल 2018 में तीन सूर्य ग्रहण लगेंगें। हालांकि यह आंशिक ग्रहण होंगे। आइये जानते हैं कब कब यह सूर्य ग्रहण लगेंगे और कहां कहां इन्हें देखा जा सकेगा। साथ ही इस लेख में आप जानेंगें कि सूर्य ग्रहण के दौरान क्या-क्या सावधानियां आपको रखनी चाहिये। ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने व अपने जीवन को समृद्ध बनाने के लिये सूर्य ग्रहण के समय अपनी कुंडली के अनुसार ज्योतिषीय उपाय भी किये जाते हैं।

कब लगता है सूर्यग्रहण

वैज्ञानिकों के अनुसार जब पृथ्वी चंद्रमा व सूर्य एक सीधी रेखा में हों तो उस अवस्था में सूर्य को चांद ढक लेता है जिस सूर्य का प्रकाश या तो मध्यम पड़ जाता है या फिर अंधेरा छाने लगता है इसी को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

कितने प्रकार का होता है सूर्य ग्रहण

पूर्ण सूर्य ग्रहण –

जब पूर्णत: अंधेरा छाये तो इसका तात्पर्य है कि चंद्रमा ने सूर्य को पूर्ण रूप से ढ़क लिया है इस अवस्था को पूर्ण सूर्यग्रहण कहा जायेगा।

खंड या आंशिक सूर्य ग्रहण –

जब चंद्रमा सूर्य को पूर्ण रूप से न ढ़क पाये तो तो इस अवस्था को खंड ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी के अधिकांश हिस्सों में अक्सर खंड सूर्यग्रहण ही देखने को मिलता है।

वलयाकार सूर्य ग्रहण –

वहीं यदि चांद सूरज को इस प्रकार ढके की सूर्य वलयाकार दिखाई दे यानि बीच में से ढका हुआ और उसके किनारों से रोशनी का छल्ला बनता हुआ दिखाई दे तो इस प्रकार के ग्रहण को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है। सूर्यग्रहण की अवधि भी कुछ ही मिनटों के लिये होती है। सूर्य ग्रहण का योग हमेशा अमावस्या के दिन ही बनता है।

2018 में कब लगेगा सूर्य ग्रहण?

2018 का दूसरा सूर्यग्रहण 13 जुलाई को तो तीसरा 11 अगस्त को लगेगा। हालांकि यह आंशिक सूर्य ग्रहण रहेगा। 2018 का पहला सूर्य ग्रहण 16 फरवरी को लगा था।जुलाई और अगस्त माह में पड़ने वाले सूर्य ग्रहण लगातार हैं। हालांकि यह ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण हैं साथ ही इन्हें भारत में नहीं देखा जा सकेगा। हालांकि दुनिया अन्य कई हिस्सों में इन्हें देखा जा सकेगा।

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सूर्य ग्रहण 2018 का 12 राशियों पर प्रभाव

मेष: आय में वद्धि होगी

इन राशि वालों को मित्रों से लाभ मिल सकता है। किसी स्त्री मित्र से इन्हें अच्छा सहयोग मिलेगा और इससे विशेष लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आय में वृद्धि के योग बनेंगे और खान-पान के अच्छे संयोग बनेंगे।

वृष: व्यर्थ व्यय की आशंका

सूर्य ग्रहण के प्रभाव से आपके स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है। स्त्रियों और जलस्रोत से दूर रहें। व्यर्थ व्यय हो सकता है और अनिद्रा की समस्या हो सकती है।

मिथुन: महिला से मिल सकता है लाभ

कार्यक्षेत्र में लाभ के योग हैं। परिजनों के साथ विवाद न हो, इसके लिए व्यर्थ की बहस में न पड़ें। मन में किसी बात को लेकर दुविधा रहेगी। कार्यक्षेत्र में कोई महिला आपकी बड़ी मदद कर सकती है।

कर्क: शुभ समाचार मिलने के योग

मित्रों अथवा परिजनों के साथ व्यवहार में संयम बरतने की आवश्कता है, अन्यथा किसी बात को लेकर मनमुटाव हो सकता है। वाहन चलाते समय सावधान रहें। किसी शुभ समाचार की प्राप्ति के योग हैं।

सिंह: मेहनत अधिक करनी होगी

नौकरी और व्यवसाय में उन्नति के योग बन रहे हैं। घर-परिवार में भी खुशी का माहौल रहेगा। कुछ कार्यों को पूर्ण करने के लिए आपको थोड़ी मेहनत अधिक करनी पड़ सकती है।

कन्या: कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता के योग

यह वक्त आपके लिए सरकारी कार्यों को निपटाने का है। यदि कोर्ट कचहरी में आपका कोई मामला लंबित है तो आपको इस वक्त उसको निपटाने के प्रयास करने चाहिए। मामला सुलझने के योग हैं। व्यापारियों के लिए मुश्किल वक्त हो सकता है।

तुला: दांपत्य जीवन में आ सकती है परेशानी

इस वक्त आपके दांपत्य जीवन में थोड़ी दूरियां आ सकती हैं। आर्थिक स्थिति भी थोड़ी गड़बड़ा सकती है। सरकारी कार्यों में सफलता मिलेगी और मित्रों से लाभ होगा।

वृश्चिक: कार्यक्षेत्र में हो सकता है विवाद

शरीर में आलस्य हो सकता है। कार्यक्षेत्र में किसी सहयोगी या संबंधित अधिकारी के साथ किसी बात को लेकर विवाद हो सकता है। लंबे समय से प्रयासरत लोगों के लिए विदेश जाने के योग हैं।

धनु: दिनचर्या पर रखें संयम

यह समय आपके लिए थोड़ा सा मुश्किल हो सकता है। आपको अपनी दिनचर्या पर संयम रखते हुए प्रभु के भजन-कीर्तन में मन लगाना चाहिए। संतान को लेकर किसी प्रकार की चिंता से मन परेशान हो सकता है।

मकर: खर्च की अधिकता

भले ही यह सूर्य ग्रहण आपकी राशि में अधिक खर्च के योग दिखा रहा है,, लेकिन इसके साथ आपको आर्थिक लाभ होने के भी संकेत मिल रहे हैं। इस वक्त लाभ की प्राप्ति के लिए आपको मेहनत अधिक करनी पड़ सकती है।

कुंभ: पैसों की तंगी

इस वक्त आपको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि बीमार व्यक्तियों की हालत में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। कार्यक्षेत्र में किसी से अनबन न हो, इस बात का ध्यान रखें।

मीन: पदोन्नति के योग

सूर्य ग्रहण के प्रभाव से आप कार्यक्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करेंगे और परिणामस्वरूप आपको पदोन्नति मिलने के योग हैं। संतान के संबंध में कोई खुशखबरी मिल सकती है।

सूर्य ग्रहण पर क्या रखें सावधानियां

ग्रहण काल के समय खाना न खांए न ही कुछ पीयें, प्रभु का स्मरण करते हुए पूजा, जप, दान आदि धार्मिक कार्य करें। इस समय नवग्रहों का दान करना भी लाभकारी रहेगा। जो विद्यार्थी अच्छा परिणाम चाहते हैं वे ग्रहण काल में पढाई शुरु न करें बल्कि ग्रहण के समय से पहले से शुरु कर ग्रहण के दौरान करते रहें तो अच्छा रहेगा।

घर में बने पूजास्थल को भी ग्रहण के दौरान ढक कर रखें। ग्रहण से पहले रात्रि भोज में से खाना न ही बचायें तो अच्छा रहेगा। यदि दुध, दही या अन्य तरल पदार्थ बच जांयें तो उनमें तुलसी अथवा कुशा डालकर रखें इससे ग्रहण का प्रभाव उन पर नहीं पड़ेगा। ग्रहण समाप्ति पर पूजा स्थल को साफ कर गंगाजल का छिड़काव करें, देव मूर्ति को भी गंगाजल से स्नान करवायें व तदुपरांत भोग लगायें।

 

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साप्ताहिक लव एस्ट्रोलॉजी – इन 5 राशियों के इस सप्ताह रोमांस के सितारे बुलंद है, जरा संभल के !!!

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साप्ताहिक लव एस्ट्रोलॉजी – Weekly Love astrology 9th July – 15th July 2018

इस सप्ताह के मध्य में गुरु की चाल बदलने वाली है और गुरु शुक्र की राशि तुला में वक्री से मार्गी होने वाले हैं। गुरु की बदली चाल से कई राशियों पर शुभ प्रभाव पड़ेगा और प्रेम संबंध में चली आ रही परेशानियां दूर होगी। देखिए आपके लिए सप्ताह कैसा रहने वाला है …

मेष (22 मार्च – 21 अप्रैल): विचारों पर अडिग रहें

प्रेम संबंध में सुकून एवं शांति महसूस होगी। अपने विचारों पर अडिग रहें। यह सप्ताह आपके लिए शुभ समाचार लेकर आ सकता है।

वृषभ (22 अप्रैल – 21 मई ): दें भविष्य पर ध्यान

प्रेम संबंध में प्लानिंग भविष्य का ध्यान में रखकर बनाएं, तभी सुकून एवं शांति महसूस होगी। इस सप्ताह में अपनी लव-लाइफ की किसी बात को लेकर आप चिंतित हो सकते हैं।

मिथुन (22 मई – 21 जून): अशांत मन से निर्णय न लें

इस सप्ताह अपनी लव लाइफ में महिला वर्ग को लेकर थोड़ा-सा अशांति महसूस करेंगे। अशांत मन से किसी भी काम से संबंधित अंतिम निर्णय न लें।

कर्क (22 जून – 21जुलाई ): जोशपूर्ण माहौल रहेगा

प्रेम संबंधों में जोशपूर्ण माहौल रहेगा। सप्ताह की शुरुआत में अपने रिश्ते को लेकर कुछ बेचैनी महसूस कर सकते हैं। भावनात्मक तौर पर यह सप्ताह आपके लिए कुछ कष्टकारी हो सकता है।

सिंह (22 जुलाई – 21 अगस्त): सकारात्मक बने रहें

कोई मातृतुल्य महिला आपकी लव लाइफ में सही मार्गदर्शन कर सकती है। उनके आशीर्वाद से सब सही होगा। सप्ताह के अंत मन ही मन कुछ खालीपन का अहसास सता सकता है। सकारात्मक रहें।

कन्या (22 अगस्त – 21 सितंबर ): बैलंस बनाकर चलें

जीवन में एक बैलंस बनाकर चलने में ही भलाई रहेगी अन्यथा कष्ट हो सकता है। अहं के टकराव से अपना बचाव करें। साथी की भावनाओं को समझें और अपनी बात प्यार के साथ उसके सामने रखें।

तुला (22 सितंबर – 21 अक्टूबर):  नई उम्मीद जगेगी

काल चक्र आपके पक्ष में मुड़ता जा रहा है एवं प्रेम संबंधों में सुकून और रोमांस लौटने के योग हैं। इस सप्ताह से आने वाले समय में सुख एवं शांति दिखाई देती है। कोई सकारात्मक खबर इस सप्ताह आपमें नई उम्मीदें जगा सकती है।

वृश्चिक (22 अक्टूबर – 21 नवंबर): आप सतर्कता बरतें

प्रेम संबंधों में कोई यात्रा आपके लिए चिंताजनक साबित हो सकती है। अपने प्रेमी के साथ यात्रा करने का प्लान कैंसिल करना ही बेहतर होगा। संयम एवं सतर्कता से आपकी मुश्किलों से निजात पा सकते हैं।

धनु ( 22 नवंबर – 21 दिसंबर): सुखद एहसास रहेगा

प्रेम-संबंध में सुखद एहसास रहेगा। अपने रिश्ते को संभालने में आपको किसी महिला की मदद मिल सकती है। भवनात्मक तौर पर सुखद एहसास रहेगा।

मकर: (22 दिसंबर – 21 जनवरी): वाणी पर संयम रखें

इस सप्ताह प्रेम संबंध को लेकर कुछ चिंतित रह सकते हैं। अपनी वाणी पर संयम रखें अन्यथा रिश्ते में दिक्कत और बढ़ सकती है। चिंता न करें, समय धीमे-धीमे अनुकूल होता जाएगा।

कुंभ (22 जनवरी – 18 फरवरी): सब ठीक हो जाएगा

इस सप्ताह लव लाइफ में बातचीत का ज़रिया खुला रखें ताकि कोई भी गलतफहमी दूर की जा सके। जीवन में सकारात्मक बदलाव भी धीरे- धीरे आएगा और अंत में सब ठीक हो जाएगा।

मीन (19 फरवरी – 21 मार्च): अहं के टकराव से बचें

लव लाइफ में कोई भी आउटिंग इस सप्ताह आपके लिए कष्टकारी हो सकती है। अहं के टकराव से भी आपको अपना बचाव करना चाहिए। आपके द्वारा किए गए सभी प्रयास आने वाले समय में आपके लिए सकारात्मक बदलाव लाएंगे।

 

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शुक्र का कर्क राशि से सिंह राशि में परिवर्तन – क्या रहेगा आपका राशिफल ?

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शुक्र का सिंह राशि में परिवर्तन – Venus Transition Cancer to Leo 

ऊर्जा व कला के कारक शुक्र माने जाते हैं। शुक्र जातक के किस भाव में बैठे हैं यह बहुत मायने रखता है। शुक्र के हर परिवर्तन के साथ जातक की कुंडली में शुक्र की स्थिति में भी बदलाव आता है और इस बदलाव के अनुसार व अन्य शुभाशुभ ग्रहों के साथ युति से कुंडली में फलादेश भी प्रभावित होता है। शुक्र लगभग एक महीने तक ही किसी राशि में रहते हैं। इसलिये कुछ समय या कहें जितने समय तक शुक्र जिस भाव में रहते हैं उस स्थान के अनुसार जातक का भविष्यफल भी प्रभावित होता है।

शुक्र का परिवर्तन 5 जुलाई को हो रहा है। इस समय शुक्र कर्क राशि से सिंह में प्रवेश करेंगें। आइये जानते हैं एस्ट्रोयोगी ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शुक्र का यह परिवर्तन सभी 12 राशियों के लिये क्या परिणाम लेकर आ सकता है।

मेष राशि पर शुक्र परिवर्तन का प्रभाव 2018

शुक्र के इस परिवर्तन से आपकी राशि से पंचम स्थान में शुक्र प्रवेश करेंगें। यह समय संतान पक्ष की ओर से आपको संतुष्टि देने वाला रह सकता है। शिक्षार्थी जातकों के लिये भी समय लाभदायक रहने के आसार बन रहे हैं। कामकाज की बात करें तो आपके मान-सम्मान में वृद्धि के योग बन रहे हैं। जो विवाहित जातक लंबे समय से संतान प्राप्ति के लिये प्रयासरत हैं उन्हें भी सफलता मिल सकती है।

वृषभ राशि पर शुक्र परिवर्तन का प्रभाव 2018

शुक्र परिवर्तन के साथ ही आपकी राशि से चतुर्थ भाव में गोचररत होंगें। यह समय आपके लिये घर, वाहन आदि का सुख मिलने के योग बना रहा है। यदि पिछले कुछ समय से नया घर या नई गाड़ी लेने का विचार बना रहे हैं तो इस समय बात बन सकती है। राजनीति से जुड़े जातकों के लिये भी समय अच्छे संकेत कर रहा है। आपके उद्देश्यों के लिये आपको जनता का समर्थन प्राप्त हो सकता है। हालांकि माता के स्वास्थ्य को लेकर आपको थोड़ा सचेत रहने की आवश्यकता है उनकी देखभाल अच्छे से करें।

मिथुन राशि पर शुक्र परिवर्तन का प्रभाव 2018

आपकी राशि से शुक्र पराक्रम स्थान में प्रवेश करेंगें। यह समय अपनी कार्यक्षमता का प्रदर्शन करने का है। साथ ही पारिवारिक जीवन में भी छोटे भाई-बहनों के साथ आपके रिश्ते मधुर रहने के आसार हैं। यदि पिछले कुछ समय से उनसे मुलाकात नहीं हुई है तो इस समय उनसे मिलने के अवसर आपको प्राप्त हो सकते हैं।

कर्क राशि पर शुक्र परिवर्तन का प्रभाव 2018

द्वितीय भाव में शुक्र का आना आपके लिये धनवृद्धि के संकेत कर रहा है। शुक्र आपके लिये नकारात्मकता को दूर करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं। अपने जिन करीबियों, सगे संबंधियों या दोस्तों से मिले हुए आपको लंबा समय हो चुका है उनसे मुलाकात के योग भी इस समय आपके लिये बन रहे हैं। संपत्ति संबंधी लेन-देन आपके लिये लाभकारी रहने के आसार हैं। संगीत के क्षेत्र से जुड़े जातकों के लिये भी यह समय कल्याणकारी रह सकता है।

सिंह राशि पर शुक्र परिवर्तन का प्रभाव 2018

शुक्र आपकी ही राशि में प्रवेश करेंगें। नये लोगों से दोस्ती बनाने, अपने व्यक्तिगत व व्यावसायिक संबंधों को बेहतर बनाने के लिये यह समय बहुत ही अनुकूल रहने के आसार हैं। किसी नई वस्तु की खरीददारी भी कर सकते हैं। कामकाजी जातकों के लिये तो यह समय और अधिक सौभाग्यशाली रहने के आसार हैं।

कन्या राशि पर शुक्र परिवर्तन का प्रभाव 2018

आपकी राशि से शुक्र 12वें घर में प्रवेश करेंगें जो कि आपके व्यय का स्थान है। इस समय आपके खर्चों में बढ़ोतरी हो सकती है। विशेषकर अपनी सुख-सुविधा को बढ़ाने के लिये किसी वस्तु की खरीददारी कर सकते हैं। खर्च किसी मांगलिक कार्य के लिये भी हो सकता है। यदि पिछले कुछ समय से कहीं घुमने का कार्यक्रम बना रहे हैं तो शुक्र का परिवर्तन आपके लिये ऐसे योग बना रहा है। अपने स्वास्थ्य को लेकर भी आपको सचेत रहने की आवश्यकता है कामकाजी व्यस्तता के कारण थकावट महसूस कर सकते हैं हालांकि आंतरिक तौर पर आप उत्साह से भरे रहेंगें।

तुला राशि पर शुक्र परिवर्तन का प्रभाव 2018

5 जुलाई को होने वाले शुक्र के परिवर्तन से आपके लिये लाभ वृद्धि के संकेत हैं। दरअसल शुक्र आपकी राशि से लाभ स्थान में दाखिल हो रहे हैं। हालांकि आमदनी में इजाफे के साथ-साथ आपके खर्चों में भी वृद्धि होने के आसार हैं। फिजूल खर्ची की संभावनाएं प्रबल हैं बचने का प्रयास करें। मेहमान नवाजी भी आपको करनी पड़ सकती है। जिन अविवाहित जातकों के रिश्ते की बात चल रही है उनकी बात सिरे चढ़ सकती है। शुक्र के प्रभाव से भाग्य का भरपूर साथ आपको मिलने के आसार हैं।

वृश्चिक – शुक्र का परिवर्तन आपकी राशि से कर्मस्थान यानि दसवें घर में हो रहा है। इस समय आपको कार्यक्षेत्र में नई जिम्मेदिरयां मिल सकती हैं। व्यवसायी जातक भी किसी नई परियोजना की शुरुआत कर सकते हैं। आय प्राप्ति के नये स्त्रोत ढ़ूंढ सकते हैं। शुक्र के राशि परिवर्तन से पैतृक संपत्ति से लाभ मिलने के आसार भी आपके लिये बन रहे हैं।

धनु राशि पर शुक्र परिवर्तन का प्रभाव 2018

आपकी राशि से भाग्य स्थान मे शुक्र गोचर करेंगें। यदि पिछले कुछ समय से किसी वस्तु को खरीदने के लिये प्रयासरत हैं तो इस समय आप उसे घर ला सकते हैं। भाग्य का साथ मिलने से सुख-समृद्धि, धन व पराक्रम में वृद्धि के आसार भी हैं। धार्मिक कार्यों की ओर भी आपका रूझान रह सकता है।

मकर राशि पर शुक्र परिवर्तन का प्रभाव 2018

आपकी राशि से अष्टम भाव में शुक्र आ रहे हैं। इस समय आपको सकारात्मक परिणामों के लिये बहुत अधिक प्रयास करने की आवश्यकता होगी। अपनी मेहनत पर विश्वास करें भाग्य के भरोसे न बैठें। आपके दांपत्य जीवन में भी साथी से मनमुटाव हो सकते हैं इसलिये अपने व्यवहार में संयम रखें, फालतु के वाद-विवाद में न उलझें, न ही किसी के बहकावे में आयें। हालांकि जीवनसाथी की सेहत को लेकर भी आपको चिंतित होना पड़ सकता है। कामकाजी जीवन की दिक्कतों से भी आपकी परेशानी बढ़ सकती है। खर्चों में भी बढ़ोतरी के आसार हैं। धन की हानि होने के भी संकेत हैं। आपके लिये सलाह है कि किसी भी परिस्थिति में अपना आपा न खोयें, संयमित व्यवहार, कड़ी मेहनत और विवेकशीलता से आप इन स्थितियों से पार पा सकते हैं।

कुंभ राशि पर शुक्र परिवर्तन का प्रभाव 2018

सप्तम भाव में शुक्र का आना आपके जीवन में काफी सकारात्मक परिवर्तन लेकर आ सकता है। अविवाहित जातकों के लिये विवाह के योग बन सकते हैं। जो जातक अपने किसी खास से दिल की बात कहना चाहते हैं उन्हें भी अपनी बात कहने का वातावरण उपलब्ध हो सकता है। प्रेम संबंधों में लिप्त जातकों के लिये भी यह समय खुशगवार रहने के आसार हैं। संतान पक्ष की ओर से भी आपको खुशखबरी मिल सकती है। हालांकि इस समय आपको अपने साथी पर विश्वास रखने की आवश्यकता होगी किसी अन्य व्यक्ति द्वारा आपके बीच दरार पैदा करने के प्रयास हो सकते हैं। हालांकि व्यवसाय के मामले में समय आपके लिये लाभकारी रहने के योग भी हैं।

मीन राशि पर शुक्र परिवर्तन का प्रभाव 2018

छठे भाव में शुक्र का आना आपके लिये स्वास्थ्य संबंधि परेशानियों का कारण हो सकता है। साथ ही व्यावसायिक जीवन में इस समय प्रतिस्पर्धियों अथवा कार्यस्थल पर इर्ष्यालु जनों द्वारा आपके मार्ग में अड़ंगें अड़ाए जा सकते हैं। हालांकि तमाम परेशानियों से पार पाते हुए कार्यक्षेत्र में उन्नति कर सकते हैं। वर्तमान नौकरी या कार्य से असंतुष्ट जातक करियर में परिवर्तन का विचार भी बना सकते हैं। आपके रोमांटिक जीवन के लिहाज से यह समय मिलाजुला रहने के आसार हैं।

 

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दूसरों की मदद कीजिये : Help Others Story in Hindi

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Help Others Story in Hindi अजीत आज बहुत खुश था। बहुत दिनों बाद दिवाली की वजह से ऑफिस से 3 दिन की छुट्टी मिली थी। अजीत ने परिवार सहित कहीं बाहर खाने का प्लान बनाया। धर्मपत्नी ने भी घर का सारा काम काज आज जल्दी ख़त्म कर लिया और बेटे को भी तैयार कर दिया। घर में एक कार थी, यूँ तो पुरानी थी पर अजीत अपनी तनख्वा में नई ले भी नहीं सकता था। तीनों लोग कार में बैठ कर फूले ना समा रहे थे, आखिर बड़े दिनों के बाद कहीं साथ साथ घूमने जो जा रहे थे। अजीत

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