राजा की शर्त | तेनालीराम की कहानी | Tenali Rama Story in Hindi

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Tenali Raman Ki Chaturai Ke Kisse in Hindi

Tenali Rama Story in Hindi

तेनालीराम की कहानी: तेनालीराम के ज्ञान और चतुराई की कहानियाँ बहुत प्रसिद्ध हैं। तेनालीराम राजा कृष्णदेव राय के मंत्री और विशेष सलाहकार थे। जब कभी कोई समस्या आती तो राजा सबसे पहले तेनालीराम की ही सलाह लेते और बुद्धिमान तेनालीराम हमेशा राजा कृष्णदेव राय की हर उम्मीद पर खरा उतरते।

तेनालीराम की बुद्धिमता की वजह से राजा की उन पर विशेष कृपा रहती थी। इसलिए सारे दरबारी और मंत्री तेनालीराम से चिढ़ते थे एवं हमेशा कुछ ना कुछ कमियां निकालकर तेनालीराम को नीचा दिखाने की कोशिश करते रहते थे लेकिन चालाक तेनालीराम उनकी सब चालों पर पानी फेर दिया करते थे।

राजा कृष्णदेव राय की शर्त

stories of tenaliram in Hindiएक बार पड़ोसी राज्य पर विजय प्राप्त करने पर राजा कृष्णदेव राय बेहद प्रसन्न थे। इसी ख़ुशी में उन्होंने सारे मंत्री और दरबारियों को बुलाया और सबको सौ स्वर्ण मुद्राओं की एक थैली दी। सारे मंत्री बेहद खुश थे।

राजा ने कहा – आप सभी को अपनी सौ स्वर्ण मुद्राओं को एक सप्ताह में ही खर्च करना है। सभी लोग अपनी मनपसंद सामग्री इस धन से खरीद सकते हैं। लेकिन एक सप्ताह बाद मुझे आकर बताना है कि आप लोगों ने क्या क्या खरीदा। और हाँ, स्वर्ण मुद्राएं खर्च करने से पहले मेरा मुख जरूर देखना। बिना मेरे मुख को देखे कोई भी स्वर्ण मुद्राएं खर्च नहीं करेगा।

सारे दरबारी स्वर्ण मुद्राएं पाकर बेहद खुश हुए और अपने घर की ओर चल दिए। अब जैसे ही कल सारे लोग बाजार गए और कुछ खरीदना चाहा तो अचानक उन्हें याद आया कि राजा ने कहा था कि मेरा मुख देखे बिना स्वर्ण मुद्राएं खर्च मत करना तो अब कैसे सामान खरीदा जाये?

कुछ मंत्रियों ने सोचा कि कुछ दिन बाद जब राजा बाजार जायेंगे तब हम भी उनका मुख देखकर सामान खरीद लेंगे। ऐसे ही समय बीतता गया और एक सप्ताह पूरा हो गया। ना तो राजा कृष्णदेव राय बाजार गए और ना ही कोई मंत्री कुछ खरीद पाया।

एक सप्ताह बाद राजा ने सभी दरबारियों से पूछा कि आपने क्या क्या खरीदा ?

सभी मंत्री एक स्वर में बोले – महाराज, आपने कहा था कि बिना आपके मुख देखे स्वर्ण मुद्राएं खर्च मत करना तो भला हम कैसे कोई सामग्री खरीद पाते। हमने तो आपकी आज्ञा का पालन किया और कुछ नहीं खरीद पाए।

अब राजा ने तेनालीराम से पूछा – आपने क्या खरीदा ?

तेनालीराम मुस्कुरा कर उठे और बोले – देखिये महाराज ये नया कुर्ता, नयी पगड़ी, नयी जूतियां, ये अंगूठी और ये एक आपके लिए कीमती तोहफा………

अब तो सारे दरबारी बड़े ही खुश हुए और सोचने लगे कि तेनालीराम ने राजा की आज्ञा का उलंघन किया है अब तो राजा इसे बहुत कड़ी सजा देंगे। तभी राजा ने तेनालीराम से पूछा कि मैंने कहा था कि मेरा मुख देखे बिना स्वर्ण मुद्राएं खर्च मत करना फिर तुमने कैसे ये सब खरीदा ? तुमको इसके लिए सजा भी मिल सकती है।

तेनालीराम ने कहा – महाराज मेरी पूरी बात तो सुनिये, आपको पता है कि हर स्वर्ण मुद्रा पर आपकी तस्वीर लगी हुई है। मैंने हर स्वर्ण मुद्रा खर्च करने से पहले तस्वीर में आपका मुख देखा और सामना खरीद लाया।

राजा मुस्कुराये और तेनालीराम को शाबाशी दी…

अब बेचारे सभी दरबारियों को फिर से शर्मिंदगी की सामना करना पड़ा।

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