एक गिलास दूध Short Story on Kindness in Hindi

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a glass milk kindness story in hindi

एक गरीब लड़का घर-घर जाकर सामान बेचता था ताकि वह अपनी पढ़ाई कर सके और स्कूल की फीस भर सके| एक दिन उसके पास सिर्फ एक रूपया ही बचा, उसे बहुत भूख लग रही थी| वह एक घर के करीब पहुंचने वाला था उसने सोचा कि इस घर पर जाकर खाने के लिए कुछ मांगू।

एक औरत ने दरवाजा खोला| जब औरत ने उस लड़के की तरफ देखा तो वह समझ गयी कि यह बहुत भूखा है| फिर उसने एक दूध का गिलास लाकर दिया, उस लडके ने दूध पीने के बाद कहा कितने पैसे हुए?

औरत ने कहा, तुम यह खरीद नहीं सकते, मुझे मेरी माँ ने सिखाया है कि कभी गरीब इंसानो से पैसे नहीं लेना चाहिए| लड़का बोला, फिर तो मैं आपको दिल से धन्यवाद देता हूँ, और कहा अब मैं शारीरिक रूप से ही स्वस्थ नहीं हूँ बल्कि मेरी परमात्मा में भी आस्था बढ़ी है| उस लडके का नाम Howard Kelly था |

बहुत साल बीत गए, एक दिन उस औरत की तबियत बिगड़ गयी| स्थानीय डॉक्टर भी उसकी मदद नहीं कर पाये | इसलिए उन्होंने उसे बाहर शहर में भेज दिया ताकि उसकी बीमारी का सही ढंग से इलाज हो सके | उस हॉस्पिटल में इलाज के लिए Dr Howard Kelly को बुलाया गया था |

जब वह उस औरत के कक्ष में गए तो उस लड़के ने झट से उस औरत को पहचान लिया, जिसने उस पर दया की थी, जब वह गरीब था और घर-घर सामान बेचने जाता था | उस लडके ने औरत को बीमारी से उबरने में मदद करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ करने की ठान ली थी|

उनका परिश्रम लम्बा चला लेकिन उन्होंने अंत में बिमारी पर विजय पा ली, कुछ देर बाद उस औरत को हॉस्पिटल का बिल भरने को कहा गया | वह औरत चिंतित हुई क्यूंकि उसके पास बिल चुकाने के लिए इतने पैसे नहीं थे, उसकी पूरी जिंदगी की कमाई भी इस इलाज के लिए कम थी |

अंत में जब महिला ने बिल को ठीक से देखा तो उसने कुछ शब्दों को पढ़ा जो कि बिल के एक तरफ लिखे थे| वहां लिखा था : एक गिलास दूध का पूरा भुगतान कर दिया |

दोस्तों जहाँ लोगों में दया की भावना होती है वहाँ ईश्वर का वास होता है। अगर आप आज किसी की मदद करेंगे तो यकीन मानिये कल जब आपको मदद जरुरत होगी तो ईश्वर आपकी मदद जरूर करेंगे। दूसरों की मदद करके आप असल में खुद की ही मदद कर रहे होते हैं।

दोस्तों आप लोगों को motivate करने के लिए HindiSoch.Com की तरफ से बेहतर से बेहतर प्रयास किये जाते हैं। आपके हर कहानी पर किये गए कॉमेंट और शेयर, हमें और अच्छा करने के लिए प्रेरित करते हैं तो आप लोगों से एक गुजारिश है कि जब भी आप हिंदीसोच कोई आर्टिकल या कहानी पढ़े तो उसे अपने फेसबुक और ट्विटर पर जरूर शेयर करें और नीचे कॉमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर दें।

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गिद्धों का झुण्ड | Motivational Kahani for Life in Hindi

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Motivational Kahani for a good life in Hindi

Motivational Kahani for Life in Hindi

एक घने जंगल में गिद्धों का एक झुण्ड रहता था। गिद्ध झुण्ड बनाकर लम्बी उड़ान भरते और शिकार की तलाश किया करते थे। एक बार गिद्धों का झुण्ड उड़ते उड़ते एक ऐसे टापू पर पहुँच गया जहां पर बहुत ज्यादा मछली और मेंढक खाने को थे।

इस टापू पर गिद्धों को रहने के लिए सारी सुविधाएँ मौजूद थीं। अब तो सारे गिद्ध बड़े खुश हुए, मजे से वो उसी टापू पर रहने लगे, अब ना ही रोज शिकार की तलाश में जाना पड़ता और ना ही कुछ मेहनत करनी पड़ती। दिन रात गिद्ध बिना कोई काम किये मौज करते और आलस्य में पड़े रहते थे।

उस झुण्ड में एक बूढ़ा गिद्ध भी था, बूढ़े गिद्ध को अपने साथियों की ऐसी दशा देखकर बहुत चिंता हुई। वो गिद्धों को चेतावनी देते हुए बोला – मित्रों हम गिद्धों को ऊँची उड़ान और अचूक निशाने और उत्तम शिकारी के रूप में जाना जाता है। लेकिन इस टापू पर आकर सभी गिद्धों को आराम की आदत हो गई है और कुछ तो कई दिन से उड़े ही नहीं हैं। ये चीज़ें हमारी क्षमता और हमारे भविष्य के लिए घातक हो सकती हैं। इसलिए हम आज ही अपने पुराने जंगलों में वापस जायेंगे।

अब बाकि सारे गिद्ध उस बूढ़े गिद्ध की हंसी उड़ाने लगे कि ये बूढ़े हो चुके हैं इनका दिमाग सही से काम नहीं कर रहा है, यहाँ हम कितनी मौज मस्ती से रह रहे हैं वापस वहां जंगल में क्यों जाएँ ? ये कहकर सभी गिद्धों ने जाने से मना कर दिया। लेकिन बूढ़ा गिद्ध वापस चला गया।

कुछ दिन बाद जंगल में रहते रहते एक दिन बूढ़े गिद्ध ने सोचा कि मेरा जीवन अब बहुत थोड़ा ही बचा है तो क्यों ना अपने सगे लोगों से मिल लिया जाये। यही सोचकर गिद्ध ने ऊँची उड़ान भरी और टापू पर पहुँच गया। वहाँ जाकर उसने जो द्रश्य देखा वो सचमुच भयावह था। पूरे टापू पर एक भी गिद्ध जिन्दा नहीं बचा था, चारों तरफ गिद्धों की लाश ही पड़ी थी।

अचानक एक घायल गिद्ध पर नजर पड़ी उसने बताया कि यहाँ कुछ दिन पहले चीतों का एक झुण्ड आया। जब चीतों ने हम पर हमला किया तो हम लोगों ने उड़ना चाहा लेकिन हम ऊँचा उड़ ही नहीं पाए और ना ही हमारे पंजों में इतनी ताकत थी कि हम उनका मुकाबला कर पाते। चीतों ने एक एक कर सारे गिद्धों को खत्म कर दिया। बूढ़ा गिद्ध दुखी होता हुआ वापस जंगल की ओर उड़ चला।

दोस्तों हमारे जीवन में भी कुछ ऐसा ही होता है, हम अगर अपनी शक्तियों का लगातार प्रयोग नहीं करेंगे तो हम कमजोर पड़ते जायेंगे और एक दिन हमारी शक्तियां हमारे काम की ही नहीं रहेंगी। अगर आप अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं करते तो आपके दिमाग की क्षमता घटने लगेगी। आप अपने शरीर का उपयोग नहीं करेंगे तो आपकी ताकत घटने लगेगी।

धीरे धीरे आपकी शक्तियां ही आपकी कमजोरियां बनती चली जाएँगी। अपने स्किल और क्षमताओं को जंग मत लगने दीजिये, लगातार खुद को तराशिये, खुद को update करते रहिये।

तभी आप जिंदगी की इस जंग को शान से जीत पाएंगे। यूँ टाइमपास करने को तो जानवर भी जीते हैं लेकिन आप इंसान हैं, अपनी काबिलियत, अपनी ताकत को जिंदा रखिये, अपने कौशल, अपने हुनर को और तराशिये, उसपे धूल मत जमने दीजिये, और जब आप ऐसा करेंगे तो बड़ी से बड़ी मुसीबत आने पर भी आप ऊँची उड़ान भर पायेंगे!

मित्रों इस कहानी से आपने क्या सीखा और कैसे इस कहानी को अपने जीवन पर इस्तेमाल करेंगे ? हमें कमेंट में जरूर बताएं, आपके कमेंटों का हमें इंतजार है धन्यवाद!!!!!

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खूब लड़ी मर्दानी । Rani Laxmi Bai Poem Kavita

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Khoob Ladi Mardani Wah to Jhansi Wali Rani Thi Poem in Hindi

हिंदी कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता “खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी” के बोल आज हम इस लेख में पढ़ेंगे। रानी लक्ष्मीबाई पर लिखी यह कविता झाँसी की रानी के युद्ध कौशल और वीरता को प्रकाशित करती है। जिस समय भारत के अधिकांश राज्यों में ब्रिटिश साम्राज्य स्थापित हो चुका था, उस समय सशक्त अंग्रेजी सेना के आगे रानी लक्ष्मीबाई ने झुकने से इंकार कर दिया और अपने प्राणों की चिंता ना करते हुए, अपनी छोटी सेना के साथ ही अंग्रेजों का सामना किया। रानी लक्ष्मीबाई ने अपने जीवित रहते हुए अपने राज्य पर अंग्रेजी हुकूमत को पैर नहीं पसारने दिए थे।

आइये रानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा सुनाती कविता ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी’ को पढ़ें –

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई पर कविता

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

Rani-Laxmi-Bai

कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी,
बरछी ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।
वीर शिवाजी की गाथायें उसकी याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवार।
महाराष्टर-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,
चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियाली छाई,
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
रानी विधवा हुई, हाय! विधि को भी नहीं दया आई।
निसंतान मरे राजाजी रानी शोक-समानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।
अश्रुपूर्णा रानी ने देखा झाँसी हुई बिरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट शासकों की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था जब यह भारत आया,
डलहौज़ी ने पैर पसारे, अब तो पलट गई काया,
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया।
रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

छिनी राजधानी दिल्ली की, लखनऊ छीना बातों-बात,
कैद पेशवा था बिठुर में, हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजौर, सतारा, करनाटक की कौन बिसात?
जबकि सिंध, पंजाब ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात।
बंगाले, मद्रास आदि की भी तो वही कहानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

रानी रोयीं रिनवासों में, बेगम ग़म से थीं बेज़ार,
उनके गहने कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार,
सरे आम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अखबार,
‘नागपूर के ज़ेवर ले लो लखनऊ के लो नौलख हार’।
यों परदे की इज़्ज़त परदेशी के हाथ बिकानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

कुटियों में भी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,
वीर सैनिकों के मन में था अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,
बहिन छबीली ने रण-चण्डी का कर दिया प्रकट आहवान।
हुआ यज्ञ प्रारम्भ उन्हें तो सोई ज्योति जगानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की चिनगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थी,
मेरठ, कानपूर, पटना ने भारी धूम मचाई थी,
जबलपूर, कोल्हापूर में भी कुछ हलचल उकसानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

इस स्वतंत्रता महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,
नाना धुंधूपंत, ताँतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम।
लेकिन आज जुर्म कहलाती उनकी जो कुरबानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में,
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में,
लेफ्टिनेंट वाकर आ पहुँचा, आगे बड़ा जवानों में,
रानी ने तलवार खींच ली, हुया द्वन्द्ध असमानों में।
ज़ख्मी होकर वाकर भागा, उसे अजब हैरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार।
अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

विजय मिली, पर अंग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी,
अबके जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुहँ की खाई थी,
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थी,
युद्ध श्रेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी।
पर पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय! घिरी अब रानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार,
किन्तु सामने नाला आया, था वह संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गये अवार,
रानी एक, शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार-पर-वार।
घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीर गति पानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

रानी गई सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आयी बन स्वतंत्रता-नारी थी,
दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी,
यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनासी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी।
तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

रचना – सुभद्रा कुमारी चौहान

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सब्र का फल, Buddha Inspirational Stories in Hindi

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Inspirational Gautam Buddha Stories in Hindi

Buddha Inspirational Stories in Hindi

बात उस समय की है जब महात्मा बुद्ध विश्व भर में भ्रमण करते हुए बौद्ध धर्म का प्रचार कर रहे थे और लोगों को ज्ञान दे रहे थे|

एक बार महात्मा बुद्ध अपने कुछ शिष्यों के साथ एक गाँव में भ्रमण कर रहे थे| उन दिनों कोई वाहन नहीं हुआ करते थे, सो लोग पैदल ही मीलों की यात्रा करते थे| ऐसे ही गाँव में घूमते हुए काफ़ी देर हो गयी थी|

बुद्ध जी को काफ़ी प्यास लगी थी| उन्होनें अपने एक शिष्य को गाँव से पानी लाने की आज्ञा दी| जब वह शिष्य गाँव में अंदर गया तो उसने देखा, वहाँ एक नदी थी जहाँ बहुत सारे लोग कपड़े धो रहे थे। कुछ लोग नहा रहे थे तो नदी का पानी काफ़ी गंदा सा दिख रहा था|

शिष्य को लगा कि गुरु जी के लिए ऐसा गंदा पानी ले जाना ठीक नहीं होगा, ये सोचकर वह वापस आ गया| महात्मा बुद्ध को बहुत प्यास लगी थी, इसीलिए उन्होनें फिर से दूसरे शिष्य को पानी लाने भेजा| कुछ देर बाद वह शिष्य लौटा और पानी ले आया|

महात्मा बुद्ध ने शिष्य से पूछा कि नदी का पानी तो गंदा था, फिर तुम साफ पानी कैसे ले आए? शिष्य बोला कि प्रभु वहाँ नदी का पानी वास्तव में गंदा था, लेकिन लोगों के जाने के बाद मैंने कुछ देर इंतजार किया और कुछ देर बाद मिट्टी नीचे बैठ गयी और साफ पानी ऊपर आ गया|

बुद्ध यह सुनकर बड़े प्रसन्न हुए और बाकी शिष्यों को भी सीख दी कि हमारा ये जो जीवन है यह पानी की तरह है| जब तक हमारे कर्म अच्छे हैं तब तक सब कुछ शुद्ध है, लेकिन जीवन में कई बार दुख और समस्या भी आते हैं जिससे जीवन रूपी पानी गंदा लगने लगता है|

कुछ लोग पहले वाले शिष्य की तरह बुराई को देख कर घबरा जाते हैं और मुसीबत देखकर वापस लौट जाते हैं, वह जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाते, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग जो धैर्यशील होते हैं वो व्याकुल नहीं होते और कुछ समय बाद गंदगी रूपी समस्याएँ और दुख खुद ही ख़त्म हो जाते हैं|

तो मित्रों, इस कहानी की सीख यही है कि समस्या और बुराई केवल कुछ समय के लिए जीवन रूपी पानी को गंदा कर सकती है| लेकिन अगर आप धैर्य से काम लेंगे तो बुराई खुद ही कुछ समय बाद आपका साथ छोड़ देगी|

आप लोगों को ये कहानी कैसी लगी, नीचे comment के ज़रिए हमें ज़रूर बताएँ, धन्यवाद

महात्मा बुद्ध के जीवन से जुड़े अन्य कथन –

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Happy Buddha Purnima 2021 Wishes in Hindi with Images Quotes & Status | बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें

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महात्मा बुद्ध के जन्मदिवस को बुद्ध पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा 2021 के लिए सबसे ख़ास Buddha Purnima Wishes in Hindi with Images and Quotes आप यहाँ से लें। बुद्ध पूर्णिमा की अनमोल शुभकामनायें और ग्रीटिंस आपको यहाँ मिलेंगे जिन्हें डाउनलोड करके आप अपने मित्रों को बुद्ध पूर्णिमा की बधाइयाँ दे सकते हैं। महात्मा बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था और वह राजा शुध्दोधन के पुत्र थे। राजसी परिवार से सम्बन्ध रखने के बावजूद सिद्धार्थ हमेशा जीवन के सत्य की खोज में रहते, इसी की चलते वह राजसी वैभव को छोड़कर वन में चले गए थे। और वर्षों की तपस्या के बाद उनको सत्य का ज्ञान हुआ, अपने उस ज्ञान से महात्मा बुद्ध ने पूरे विश्व को प्रकाशित किया। बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बुद्ध अनुयायियों के लिए सबसे विशेष पर्व होता है। इस लेख में हम भी महात्मा बुद्ध के विचारों को पढ़ेंगे और यहाँ आपको बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामना इमेजेज और Buddha Purnima Wishes in Hindi भी मिलेंगी।

Happy Buddha Purnima 2021 Wishes in Hindi with Quotes

दुनिया में तीन चीज़ें ज्यादा समय तक छिपी नहीं रह सकतीं
सूर्य चन्द्र और सच
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनायें

Happy Buddha Purnima and Buddha Jayanti Wishes in Hindi

जिस व्यक्ति को दूसरों से इर्ष्या करने में आनंद आता हो,
उसे कभी शांति नहीं मिल सकती
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनायें

Happy Buddha Purnima Wishes Quotes in Hindi

आपके विचारों में ही सबसे ज्यादा ताकत है
आप जैसा सोचते हैं, ठीक वैसा बन जाते हैं
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनायें

Happy Buddha Purnima Images Wishes in Hindi with Quotes

आप कितने भी पवित्र शब्द बोल लो या सीख लो
लेकिन जब तक आप इस पर अमल नहीं करोगे
तब तक आपको कोई फायदा नहीं होने वाला
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनायें

Happy Buddha Purnima Jayanti Wishes in Hindi with Images

जो समय आपका बीत गया, कभी वापस नहीं आता
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनायें

Happy Buddha Purnima Shubhkamnaye Wishes in Hindi

शांति हमेशा अंदर से आती है,
इसे बाहर मत ढूंढो
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनायें

Happy Buddha Purnima Wishes in Hindi for 2021 with Images

बुराई को कभी बुराई से समाप्त नहीं किया जा सकता
बुराई को हमेशा प्रेम ने हराया है
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनायें

Happy Buddha Purnima Wishes in Hindi with Images

जैसे एक मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती,
वैसे ही इंसान भी बिना आध्यात्मिक ज्ञान के नहीं रह सकता
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनायें

Happy Buddha Purnima Wishes Status in Hindi

खुशियों भरा जीवन जीना है
तो अभी वर्तमान में जीयो
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनायें

2021 Buddha Purnima Wishes in Hindi

आपको क्रोध की सजा नहीं मिलती है
बल्कि आपको क्रोध से सजा मिलती है
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनायें

Happy Buddha Purnima Quotes in Hindi with Status

अज्ञानी आदमी एक बैल के समान है
वह ज्ञान में नहीं, आकार में बढ़ता है
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनायें

महात्मा बुद्ध की शिक्षाएं
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Three things cannot be long hidden: the sun, the moon, and the truth.
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You only lose what you cling to.
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Delight in heedfulness! Guard well your thoughts!
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50 मोटिवेशनल सुविचार जो जिंदगी बदल दें | Best Suvichar Inspirational Motivational in Hindi

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Inspirational Suvichar in Hindi Quotes Motivational

पंछी कभी अपने बच्चों के भविष्य के लिए घोंसले बनाकर नहीं देते,
वे तो बस उन्हें ‘उड़ने’ की कला सिखाते हैं

Badhiya Hindi Suvichar for Life Success

समय बहाकर ले जाता है
नाम और निशां
कोई ‘हम’ में रह जाता है
तो कोई ‘अहम’ में

Bhagwat Geeta ke suvichar

भगवदगीता में लिखा है
कि जिस समय
कोई समस्या जन्म लेती है,
उसके साथ ही
उसका समाधान भी
जन्म लेता है

Motivational Suvichar in Hindi

कोशिश आखिरी सांस तक करनी चाहिए
मंजिल मिले या तजुर्बा
चीज़ें दोनों ही नायाब हैं

Aaj Ka Suvichar

बेहतरीन दिनों के लिए
बुरे दिनों से लड़ना पड़ता है

इंसान विचारों से निर्मित प्राणी है| इंसान के द्वारा किया जाने वाला हर कार्य किसी ना किसी विचार की ही प्रतिक्रिया होती है| विचारों से बनता है ‘व्यवहार’, और व्यवहार से बनता है ‘चरित्र’, और चरित्र से बनती है इंसान की ‘पहचान’

अच्छे सुविचार कठिन परिस्थितियों में इंसान के मार्गदर्शन का कार्य करते हैं| हर व्यक्ति को पॉजिटिव सुविचार जरूर पढ़ने चाहिए ताकि जब जीवन में कठिन समय आये तो हमें पता हो कि चुनौती का सामना कैसे करना है| सुविचार, मन को बल देते हैं, आगे बढ़ने का साहस देते हैं, और समाज की कड़वी सच्चाई से पहचान कराते हैं|

आज के अच्छे सुविचार

Jivan Ke Suvichar

लाइफ में पापा का होना भी
किसी खजाने से कम नहीं

Aaj Ka Suvichar Best Hindi Suvichar हिंदी सुविचार

जब आप कुछ नहीं कर सकते
तो एक चीज़ जरूर करें – ‘प्रयास’

Suvichar Motivational Thoughts

Inspirational Suvichar
जीवन में दो ही लोग
असफल होते हैं
एक वो जो सोचते हैं
लेकिन करते नहीं
दूसरे वो जो करते हैं
पर सोचते नहीं

Suvichar On Charitra

चोरी, निंदा और झूठ,
ये तीन बातें चरित्र को नष्ट करती हैं

सफलता पर सुविचार

यदि कड़ी मेहनत आपका हथियार है
तो सफलता आपकी गुलाम हो जायेगी

Life Inspirational Suvichar

कलम, कसम और कदम,
हमेशा सोच समझकर ही उठाना चाहिए

Hindi Motivational Suvichar on Life

दुःख भी बड़ी अजीब चीज़ है
जब खुद पर बीतती है तो सच लगता है
और दूसरों पर बीतती है तो ड्रामा
Anmol Hindi Suvichar
Anmol Hindi Suvichar

जीवन की अजीब विडंबना है…
जैसे प्यासे को पानी की एक एक बून्द की,
और भूखे को अन्न के एक एक दाने की कीमत का पता होता है
ठीक वैसे ही जिस इंसान के पास जो सुख नहीं होता,
वही उस सुख का सबसे बढ़िया वर्णन कर सकता है

 

Best Hindi Suvichar on Live
Best Hindi Suvichar on Live
हर असफलता के पीछे सफलता आपकी राह देख रही है

 

दरिया बनकर किसीको डुबाने से बेहतर है,
की जरिया बनकर किसीको बचाया जाए

 

बुरा वक्त बताकर तो नहीं आता
लेकिन बहुत कुछ सिखाकर कर जाता है

Best WhatsApp Suvichar in Hindi

Zindagi Ke Thoughts Suvichar in Hindi

मेहनत
वो सुनहरी चाबी है
जो बंद भविष्य के दरवाजे भी खोल देती है

Whatsapp Suvichar

जीवन पर सुविचार
नादान इंसान की जिंदगी का आनंद लेता है
ज्यादा होशियार तो हमेशा उलझा ही रहता है

Jindgi Ke Suvichar

चिंता इतनी करो कि काम हो जाये
इतनी नहीं कि जिंदगी तमाम हो जाये

Hindi Suvichar

Suvichar प्रेरक सुविचार
तेरे गिरने में तेरी हार नहीं
तू इंसान है, अवतार नहीं
गिर, उठ, चल, दौड़ फिर भाग
क्यूंकि
जीवन संक्षिप्त है
इसका कोई सार नहीं…

Best Suvichar Wallpaper of Chanakya

Best Suvichar of Chanakya
दूसरों द्वारा की गयी गलतियों से सीखो
अपने ऊपर प्रयोग करके सीखने में तुम्हारी आयु कम पड़ जाएगी

Chanakya ke Suvichar

Chanakya Ka Suvichar
मैं सब जानता हूँ
यही सोच इंसान को कुएँ का मेंढक बना देती है

suvichar everything is possible

Aaj Ka Suvichar
इंसान अगर ठान ले तो असंभव कुछ भी नहीं
असंभव शब्द का इस्तेमाल कायर करते हैं

Prerak Suvichar

गरजने वाले बादल बरसा नहीं करते
इसलिए कहिये मत बल्कि करके दिखाइये

Abdul Kalam Quotes सुविचार in Hindi

Positive Suvichar
इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है,
क्यूंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए ये जरूरी हैं
अब्दुल कलाम का सुविचार

change-yourself-suvichar-for-success

Beautiful Suvichar

अगर जीवन में कुछ पाना है,
तो अपने तरीके बदलो इरादे नहीं

Hindi Suvichar on Life

गलत लोगों की जीत उसी वक्त तय हो जाती है
जब सही लोग चुप हो जाते हैं

Suvichar in Hindi Wallpaper

लोग चाहते हैं कि
आप बेहतर करें
लेकिन ये भी सत्य है कि
वो कभी नहीं चाहते कि
आप उनसे बेहतर करें

Happiness Quotes in Hindi

आज का सुविचार

जो चाहा वो मिल जाना
सफलता है
जो मिला है उसको चाहना
प्रसन्नता है

Hardwork Quotes in Hindi

सत्य सुविचार

यूँ ही नहीं मिलती राही को मंजिल,
एक जूनून सा दिल में जगाना होता है,
पूँछा चिड़िया से कैसे बनाया आशियाना बोली –
भरनी पड़ती है उड़ान बार बार,
तिनका तिनका उठाना होता है

inspirational-quotes-in-hindi

गलती करना बुरा नहीं है,
गलती से सीख ना लेना बुरा है…..

Life Changing Quotes in Hindi

महान चरित्र का निर्माण
महान और उज्जवल विचारों से होता है

Never Give Up Quotes in Hindi

घनघोर अँधेरा एक तरफ,
छोटे से दीपक की रौशनी एक तरफ,
मुश्किलें कितनी भी हों, दीपक की तरह डटे रहो,
सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी

nothing-is-impossible-quotes-in-hindi

अगर इंसान में कुछ करने की इच्छा हो
तो
दुनियाँ में कुछ असंभव नहीं है

Shri Krishna Suvichar in Hindi

Best Shri Krishna Suvichar in Hindi

मनुष्य की मनुष्यता उसी समय खत्म हो जाती है
जब उसे दूसरे के दुःख पर हंसी आ जाती है

Passion Quotes in Hindi

मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है,
हर पहलू जिंदगी का इम्तिहान होता है,
डरने वाले को मिलता नहीं कुछ जिंदगी में,
लड़ने वालों के कदमों में जहान होता है

problem-solving-quotes-in-hindi

हर चुनौती में एक बड़ा अवसर छिपा होता है

Ratan Tata Quotes in Hindi

हम सभी के पास समान प्रतिभा नहीं है,
लेकिन हमारे पास समान अवसर हैं,
अपनी प्रतिभा को विकसित करने के लिए
– रतन टाटा

Secret of Success Hindi Thoughts

आप जो करने से डरते हैं उसे करिये
और करते रहिये अपने डर पर विजय
पाने का यही सबसे आसान तरीका है

Shiv Khera Quotes in Hindi

सफल लोग कोई अलग काम नहीं करते,
वो बस अलग तरीके से काम करते हैं
– शिव खेड़ा

Swami Vivekananda Hindi Quotes

जीवन में ज्यादा रिश्ते होना जरुरी नहीं है,
पर जो रिश्ते हैं
उनमें जीवन होना जरुरी है

swami-vivekananda-quotes-in-hindi

केवल एक विचार को अपना लक्ष्य बनाओ
और सभी कुविचार छोड़कर केवल उसी के बारे में सोचो,
सफलता तुम्हारे कदम जरूर चूमेगी

thinking-change-quotes-in-hindi

हम हमेशा इस बारे में सोचते हैं
कि हमारे पास क्या नहीं है
हम इस बारे में कभी नहीं सोचते
कि हमारे पास कितना है

Time Quotes in Hindi

हर दिन मेरा सर्वश्रेष्ठ दिन है
यह मेरी जिन्दगी है
मेरे पास यह क्षण दुबारा नहीं होगा

true-quotes-hindi

जो लोग कहते हैं कि वो व्यस्त हैं,
वास्तव में वो अस्त व्यस्त हैं

your-vision-for-world-quotes-in-hindi

आप जिस नजर से इस दुनियाँ को देखेंगे,
आपको दुनियाँ वैसी ही दिखाई देगी

Be Positive Thoughts in Hindiशेर आगे छलांग मारने के लिए एक कदम पीछे हटाता है,
इसलिए जब जिंदगी आपको पीछे धकेलती है,
तो घबरायें नहीं,
जिंदगी आपको ऊँची छलाँग देने के लिए तैयार है
सकारात्मक सोचें

Always Learn Quotes in Hindi

जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं की,
उसने कभी कुछ नया सीखने की कोशिश नहीं की

change-thinking-quotes-in-hindiजो व्यक्ति अपनी सोच नहीं बदल सकता,
वो कुछ नहीं बदल सकता

hindi-suvichar

जो सपने देखते हैं,
और उन्हें पूरा करने की कीमत चुकाने को तैयार रहते हैं,
वे ही लोग सफल होते हैं

जहाँ तक रास्ता दिख रहा है वहां तक चलिए,
आगे का रास्ता वहां पहुंचने पर दिखने लगेगा
– अब्दुल कलाम

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नेल्सन मंडेला के अनमोल विचार | Nelson Mandela Quotes in Hindi

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दक्षिण अफ्रीका के नेल्सन मंडेला एक समाज सुधारक, क्रांतिकारी और कुशल राजनैतिक व्यक्ति थे। अफ्रीका में रंगभेद से जुड़ी कुरीतियों को दूर करने में उनका अहम् योगदान रहा था। वह साऊथ अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति थे। नेल्सन मंडेला के अनमोल विचार (Nelson Mandela Quotes in Hindi) युवाओं के लिए प्रेरणा और ऊर्जा का महान स्रोत रहे हैं। आज हम इस लेख में नेल्सन मंडेला के महान विचारों को पढ़ेंगे –

Nelson Mandela Quotes in Hindi

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शिक्षा सबसे शशक्त हथियार है जिससे दुनिया को बदला जा सकता है – नेल्सन मंडेला

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पैसे से सफलता हासिल नहीं होगी, सफलता हमेशा स्वतंत्रता से हासिल होगी – नेल्सन मंडेला

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जब कोई व्यक्ति निश्चय कर लेता है, तब वह किसी भी मुसीबत से ऊबर सकता है – नेल्सन मंडेला

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जीवन में कभी न गिरना जीवन की सुंदरता नहीं है, बल्कि गिरकर उठना और अपने सपनों को हासिल करना ज़िन्दगी की खूबसूरती है – नेल्सन मंडेला

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व्यक्ति की अच्छाई एक ऐसी लौ है, जो छुप तो सकती है पर कभी बुझ नहीं सकती – नेल्सन मंडेला

जब तक काम खत्म ना हो जाये उसे करना असंभव लगता है – नेल्सन मंडेला

सबसे बड़े गर्व की बात कभी ना गिरने में नहीं है बल्कि हर बार गिर कर उठने में है – नेल्सन मंडेला

हर व्यक्ति के लिए रोटी, कपडा, मकान के साथ काम भी होना चाहिए – नेल्सन मंडेला

मुझे सफलताओं से मत आँकिए, बल्कि जितनी बार गिरा हूँ और गिरकर उठा हूँ उस बल पर आँकिए – नेल्सन मंडेला

मैंने ये जाना है कि डर का ना होना साहस नही है, बल्कि डर पर विजय पाना साहस है, बहादुर वह नहीं है जो भयभीत नहीं होता, बल्कि वह है जो इस भय को परास्त करता है – नेल्सन मंडेला

एक अच्छा दिमाग और एक अच्छा दिल हमेशा से एक श्रेष्ठ सयोंजन हैं – नेल्सन मंडेला

छोटा काम करना या छोटी सोच वालो के साथ रहने से कोई फायदा नहीं है, आप जिस तरह का जीवन व्यतीत कर सकते है, उससे कम स्तर की ज़िन्दगी जीना गलत है – नेल्सन मंडेला

मैं जातिवाद से घृणा करता हूँ, मुझे यह बर्बरता लगती है, फिर चाहे वह अश्वेत व्यक्ति से आ रही हो या श्वेत व्यक्ति से – नेल्सन मंडेला

बड़े पहाड़ पर चढ़ने के बाद यही पता चलता है कि अभी ऐसे कई पहाड़ चढ़ने के लिए बाकी हैं – नेल्सन मंडेला

सिर्फ स्वतंत्र लोग ही समझौता कर सकते है, कैदी लोग समझौता नहीं कर सकते, आपकी और मेरी आज़ादी अलग नहीं है – नेल्सन मंडेला

हमें समय का बुद्धिमानी से उपयोग करना चाहिए, और हमेशा ये एहसास होना चाहिए कि समय सब कुछ सही करने में सक्षम है – नेल्सन मंडेला

क्या कभी किसी ने सोचा है कि वे जो चाहता था वो उन्हें इसलिए नहीं मिला क्योंकि उनके पास प्रतिभा नहीं थी, या शक्ति नहीं थी, या धीरज नही था, या प्रतिबद्धता नहीं थी ? – नेल्सन मंडेला

लोगों को उनके मानव अधिकारों से वंचित करना उनकी असल मानवता को चुनौती देना है – नेल्सन मंडेला

कोई भी देश वास्तव में तब तक विकसित नहीं हो सकता जब तक उसके नागरिक शिक्षित नहीं हो जाते – नेल्सन मंडेला

साहसी लोग शांति की खातिर, क्षमा करने से घबराते नहीं है – नेल्सन मंडेला

अन्य प्रसिद्ध अनमोल विचार
स्टीव जॉब्स के 30 सुविचार
अल्बर्ट आईंस्टीन के सुविचार
बिल गेट्स के सुविचार
अब्दुल कलाम के अनमोल विचार

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श्रीमद भगवत गीता के श्लोक अर्थ सहित | Geeta Shlok in Hindi

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गीता के श्लोक अर्थ सहित

Geeta Shlok in Hindi

Geeta Ke Shlok with Real Meaning in Hindi

श्रीमद भगवत गीता के श्लोक में मनुष्य जीवन की हर समस्या का हल छिपा है| गीता के 18 अध्याय और 700 गीता श्लोक में कर्म, धर्म, कर्मफल, जन्म, मृत्यु, सत्य, असत्य आदि जीवन से जुड़े प्रश्नों के उत्तर मौजूद हैं|

गीता श्लोक श्री कृष्ण ने अर्जुन को उस समय सुनाये जब महाभारत के युद्ध के समय अर्जुन युद्ध करने से मना करते हैं तब श्री कृष्ण अर्जुन को गीता श्लोक सुनाते हैं और कर्म व धर्म के सच्चे ज्ञान से अवगत कराते हैं| श्री कृष्ण के इन्हीं उपदेशों को “भगवत गीता” नामक ग्रंथ में संकलित किया गया है|

भगवत गीता के श्लोक

गीता के श्लोक

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, कर्म करना तुम्हारा अधिकार है परन्तु फल की इच्छा करना तुम्हारा अधिकार नहीं है| कर्म करो और फल की इच्छा मत करो अर्थात फल की इच्छा किये बिना कर्म करो क्यूंकि फल देना मेरा काम है|

गीता श्लोक

परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, साधू और संत पुरुषों की रक्षा के लिये, दुष्कर्मियों के विनाश के लिये और धर्म की स्थापना हेतु मैं युगों युगों से धरती पर जन्म लेता आया हूँ|

गीता श्लोक

गुरूनहत्वा हि महानुभवान श्रेयो भोक्तुं भैक्ष्यमपीह लोके |
हत्वार्थकामांस्तु गुरुनिहैव भुञ्जीय भोगान्रुधिरप्रदिग्धान् ||

अर्थ – महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन के सामने उनके सगे सम्बन्धी और गुरुजन खड़े होते हैं तो अर्जुन दुःखी होकर श्री कृष्ण से कहते हैं कि अपने महान गुरुओं को मारकर जीने से तो अच्छा है कि भीख मांगकर जीवन जी लिया जाये| भले ही वह लालचवश बुराई का साथ दे रहे हैं लेकिन वो हैं तो मेरे गुरु ही, उनका वध करके अगर मैं कुछ हासिल भी कर लूंगा तो वह सब उनके रक्त से ही सना होगा|

गीता श्लोक

न चैतद्विद्मः कतरन्नो गरियो यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयु: |
यानेव हत्वा न जिजीविषाम- स्तेSवस्थिताः प्रमुखे धार्तराष्ट्राः ||

अर्थ – अर्जुन कहते हैं कि मुझे तो यह भी नहीं पता कि क्या उचित है और क्या नहीं – हम उनसे जीतना चाहते हैं या उनके द्वारा जीते जाना चाहते हैं| धृतराष्ट्र के पुत्रों को मारकर हम कभी जीना नहीं चाहेंगे फिर भी वह सब युद्धभूमि में हमारे सामने खड़े हैं|

गीता श्लोक

कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः
पृच्छामि त्वां धर्म सम्मूढचेताः |
यच्छ्रेयः स्यान्निश्र्चितं ब्रूहि तन्मे
शिष्यस्तेSहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम् ||

अर्थ – अर्जुन श्री कृष्ण से कहते हैं कि मैं अपनी कृपण दुर्बलता के कारण अपना धैर्य खोने लगा हूँ, मैं अपने कर्तव्यों को भूल रहा हूँ| अब आप भी मुझे उचित बतायें जो मेरे लिए श्रेष्ठ हो| अब मैं आपका शिष्य हूँ और आपकी शरण में आया हुआ हूँ| कृपया मुझे उपदेश दीजिये|

गीता श्लोक

न हि प्रपश्यामि ममापनुद्या-
द्यच्छोकमुच्छोषणमिन्द्रियाणाम् |
अवाप्य भूमावसपत्नमृद्धं
राज्यं सुराणामपि चाधिपत्यम् ||

अर्थ – अर्जुन कहते हैं कि मेरे प्राण और इन्द्रियों को सूखा देने वाले इस शोक से निकलने का मुझे कोई साधन नहीं दिख रहा है| स्वर्ग पर जैसे देवताओं का वास है ठीक वैसे ही धन सम्पदा से संपन्न धरती का राजपाट प्राप्त करके भी मैं इस शोक से मुक्ति नहीं पा सकूंगा|

गीता श्लोक

योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय |
सिद्धयसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ||

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन सफलता और असफलता की आसक्ति को त्यागकर सम्पूर्ण भाव से समभाव होकर अपने कर्म को करो| यही समता की भावना योग कहलाती है|

गीता श्लोक

दुरेण ह्यवरं कर्म बुद्धियोगाद्धञ्जय
बुद्धौ शरणमन्विच्छ कृपणाः फलहेतवः ||

अर्थ – श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि हे पार्थ अपनी बुद्धि, योग और चैतन्य द्वारा निंदनीय कर्मों से दूर रहो और समभाव से भगवान की शरण को प्राप्त हो जाओ| जो व्यक्ति अपने सकर्मों के फल भोगने के अभिलाषी होते हैं वह कृपण (लालची) हैं|

गीता श्लोक

कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनीषिणः |
जन्मबन्धविनिर्मुक्ताः पदं गच्छन्त्यनामयम् ||

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, ईश्वरभक्ति में स्वयं को लीन करके बड़े बड़े ऋषि व मुनि खुद को इस भौतिक संसार के कर्म और फल के बंधनों से मुक्त कर लेते हैं| इस तरह उन्हें जीवन और मरण के बंधनो से भी मुक्ति मिल जाती है| ऐसे व्यक्ति ईश्वर के पास जाकर उस अवस्था को प्राप्त कर लेते हैं जो समस्त दुःखों से परे है|

गीता श्लोक

यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति |
तदा गन्तासि निर्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च ||

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन जब तुम्हारी बुद्धि इस मोहमाया के घने जंगल को पार कर जाएगी तब सुना हुआ या सुनने योग्य सब कुछ से तुम विरक्त हो जाओगे|

गीता श्लोक

श्रुतिविप्रतिपन्ना ते यदा स्थास्यति निश्र्चला |
समाधावचला बुद्धिस्तदा योगमवाप्स्यसि ||

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे पार्थ, जब तुम्हारा मन कर्मों के फलों से प्रभावित हुए बिना और वेदों के ज्ञान से विचलित हुए बिना आत्मसाक्षात्कार की समाधि में स्थिर हो जायेगा तब तुम्हें दिव्य चेतना की प्राप्ति हो जायेगी|

गीता श्लोक

श्रीभगवानुवाच
प्रजहाति यदा कामान्सर्वान्पार्थ मनोगतान् |
आत्मन्येवात्मना तुष्टः स्थितप्रज्ञस्तदोच्यते ||

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे पार्थ, जब कोई मानव समस्त इन्द्रियों की कामनाओं को त्यागकर उनपर विजय प्राप्त कर लेता है| जब इस तरह विशुद्ध होकर मनुष्य का मन आत्मा में संतोष की प्राप्ति कर लेता है तब उसे विशुद्ध दिव्य चेतना की प्राप्ति हो जाती है|

गीता श्लोक

पिताहमस्य जगतो माता धाता पितामहः ।
वेद्यं पवित्रमोङ्कार ऋक्साम यजुरेव च ॥

अर्थ – श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि इस समस्त संसार का धाता अर्थात धारण करने वाला, समस्त कर्मों का फल देने वाला, माता, पिता, या पितामह, ओंकार, जानने योग्य और ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद भी मैं ही हूँ|

गीता श्लोक

गतिर्भर्ता प्रभुः साक्षी निवासः शरणं सुहृत्‌ ।
प्रभवः प्रलयः स्थानं निधानं बीजमव्ययम्‌॥

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे पार्थ, इस समस्त संसार में प्राप्त होने योग्य, सबका पोषण कर्ता, समस्त जग का स्वामी, शुभाशुभ को देखने वाला, प्रत्युपकार की चाह किये बिना हित करने वाला, सबका वासस्थान, सबकी उत्पत्ति व प्रलय का हेतु, समस्त निधान और अविनाशी का कारण भी मैं ही हूँ|

गीता श्लोक

तपाम्यहमहं वर्षं निगृह्‌णाम्युत्सृजामि च ।
अमृतं चैव मृत्युश्च सदसच्चाहमर्जुन ॥

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, सूर्य का ताप मैं ही हूँ, मैं ही वर्षा को बरसाता हूँ और वर्षा का आकर्षण भी मैं हूँ| हे पार्थ, अमृत और मृत्यु में भी मैं ही हूँ और सत्य और असत्य में भी मैं हूँ|

गीता श्लोक

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, ये आत्मा अजर अमर है, इसे ना तो आग जला सकती है, और ना ही पानी भिगो सकता है, ना ही हवा इसे सुखा सकती है और ना ही कोई शस्त्र इसे काट सकता है| ये आत्मा अविनाशी है|

गीता श्लोक

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे पार्थ, जब जब इस धरती पर धर्म का नाश होता है और अधर्म का विकास होता है, तब तब मैं धर्म की रक्षा करने और अधर्म का विनाश करने हेतु अवतरित होता हूँ|

गीता श्लोक

क्रोधाद्भवति संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥

अर्थ – श्री कृष्ण ने कहा कि हे अर्जुन, क्रोध करने से मष्तिस्क कमजोर हो जाता है और याददाश्त पर पर्दा पड़ जाता है| इस तरह मनुष्य की बुद्धि का नाश हो जाता है और बुद्धि का नाश होने से स्वयं उस मनुष्य का भी नाश हो जाता है|

गीता श्लोक

यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, श्रेष्ठ मनुष्य जो कर्म करता है दूसरे व्यक्ति भी उसी का अनुसरण करते हैं| वह जो भी कार्य करता है, अन्य लोग भी उसे प्रमाण मानकर वही करते हैं|

गीता श्लोक

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥

अर्थ – श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि हे अर्जुन समस्त धर्मों को त्यागकर अर्थात सभी मोह माया से मुक्त होकर मेरी शरण में आ जाओ| मैं ही तुम्हें ही पापों से मुक्ति दिला सकता हूँ इसलिए शोक मत करो|

गीता श्लोक

श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, भगवान् में श्रद्धा रखने वाले मनुष्य, अपनी इन्द्रियों को वश में करके ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं और ज्ञान प्राप्त करने वाले ऐसे पुरुष शीघ्र ही परम शांति को प्राप्त करते हैं|

गीता श्लोक

ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, लगातार विषयों और कामनाओं के बारे में सोचते रहने से मनुष्य के मन में उनके प्रति लगाव पैदा हो जाता है| ये लगाव ही इच्छा को जन्म देता है और इच्छा क्रोध को जन्म देती है|

गीता श्लोक

हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।
तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, यदि तुम युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त होते हो तो तुमको स्वर्ग की प्राप्ति होगी और यदि तुम युद्ध में जीत जाते हो तो धरती पर स्वर्ग समान राजपाट भोगोगे| इसलिए बिना कोई चिंता किये उठो और युद्ध करो|

गीता श्लोक

बहूनि में व्यतीतानि जन्मानि तव चार्जुन।
तान्यहं वेद सर्वाणि न त्वं वेत्थ परंतप॥

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, हमारा केवल यही एक जन्म नहीं है बल्कि पहले भी हमारे हजारों जन्म हो चुके हैं, तुम्हारे भी और मेरे भी परन्तु मुझे सभी जन्मों का ज्ञान है, तुम्हें नहीं है|

गीता श्लोक

अजो अपि सन्नव्यायात्मा भूतानामिश्वरोमपि सन ।
प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय संभवाम्यात्ममायया ॥

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे पार्थ, मैं एक अजन्मा तथा कभी नष्ट ना होने वाली आत्मा हूँ| इस समस्त प्रकृति को मैं ही संचालित करता हूँ| इस समस्त सृष्टि का स्वामी मैं ही हूँ| मैं योग माया से इस धरती पर प्रकट होता हूँ|

गीता श्लोक

प्रकृतिम स्वामवष्टभ्य विसृजामि पुन: पुन: ।
भूतग्राममिमं कृत्स्नमवशम प्रकृतेर्वशात॥

अर्थ – गीता के चौथे अध्याय और छठे श्लोक में श्री कृष्ण कहते हैं कि इस समस्त प्रकृति को अपने वश में करके यहाँ मौजूद समस्त जीवों को उनके कर्मों के अनुसार मैं बारम्बार रचता हूँ और जन्म देता हूँ|

गीता श्लोक

अनाश्रित: कर्मफलम कार्यम कर्म करोति य:।
स: संन्यासी च योगी न निरग्निर्ना चाक्रिया:।।

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, जो मनुष्य बिना कर्मफल की इच्छा किये हुए कर्म करता है तथा अपना दायित्व मानकर सत्कर्म करता है वही मनुष्य योगी है| जो सत्कर्म नहीं करता वह संत कहलाने योग्य नहीं है|

गीता श्लोक

न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्‌ ।
कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः ॥

अर्थ – ये निश्चित है कि कोई भी मनुष्य, किसी भी समय में बिना कर्म किये हुए क्षणमात्र भी नहीं रह सकता| समस्त जीव और मनुष्य समुदाय को प्रकृति द्वारा कर्म करने पर बाध्य किया जाता है|

गीता श्लोक

न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किंचन ।
नानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि ॥

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, तीनों लोकों में ना ही मेरा कोई कर्तव्य है और ना ही कुछ मेरे लिए प्राप्त करने योग्य अप्राप्त है परन्तु फिर भी मैं कर्म को ही बरतता हूँ|

गीता श्लोक

प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः कर्माणि सर्वशः ।
अहंकारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते ॥

अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे पार्थ, इस संसार में समस्त कर्म प्रकर्ति के गुणों द्वारा ही किये जाते हैं| जो मनुष्य सोचता है कि “मैं कर्ता हूँ” उसका अन्तःकरण अहंकार से भर जाता है| ऐसी मनुष्य अज्ञानी होते हैं|

गीता श्लोक

त्रिभिर्गुण मयै र्भावैरेभिः सर्वमिदं जगत।
मोहितं नाभि जानाति मामेभ्य परमव्ययम् ॥

अर्थ – श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि हे पार्थ! सत्व गुण, रजोगुण और तमोगुण, सारा संसार इन तीन गुणों पर ही मोहित रहता है| सभी इन गुणों की इच्छा करते हैं लेकिन मैं (परमात्मा) इन सभी गुणों से अलग, श्रेष्ठ, और विकार रहित हूँ|

गीता श्लोक

उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्।
आत्मैं ह्यात्मनों बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः ॥

अर्थ – भगवान् कृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि हे अर्जुन! ये आत्मा ही आत्मा का सबसे प्रिय मित्र है और आत्मा ही आत्मा का परम शत्रु भी है इसलिए आत्मा का उद्धार करना चाहिए, विनाश नहीं| जिस व्यक्ति ने आत्मज्ञान से इस आत्मा को जाना है उसके लिए आत्मा मित्र है और जो आत्मज्ञान से रहित है उसके लिए आत्मा ही शत्रु है||

श्री कृष्ण के इन उपदेशों को सुनकर अर्जुन को सत्य ज्ञान की प्राप्ति हुई और उन्होंने कौरवों के साथ युद्ध किया| युद्ध में पांडवों की ही विजय हुई| भगवत गीता में मानव जीवन से सम्बंधित हर प्रश्न का उत्तर भगवान कृष्ण ने दिया है|

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