मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है,
पंखों से कुछ नहीं होता दोस्तों हौसलों से उड़ान होती है
Michael Phelps Biography in Hindi: 2008 में माइकल फेल्प्स ने बीजिंग ओलम्पिक में 8 गोल्ड मेडल जीतकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था। माइकल फेल्प्स अमेरिका के एक तैराक हैं, हालाँकि माइकल फेल्प्स तैराकी में करीब 22 पदक जीत चुके थे लेकिन सबसे ज्यादा लोकप्रियता तब मिली जब उन्होंने बीजिंग में 8 गोल्ड मेडल जीतकर मार्क स्पिट्ज (Mark Spitz) का 36 साल पुराना रिकॉर्ड तोडा था।
मार्क स्पिट्ज ने 1972 के ओलंपिक गेम्स में 7 गोल्ड मेडल जीतकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था और माइकल फेल्प्स ने 2008 में बीजिंग ओलंपिक में 8 पदक जीतकर वो रिकॉर्ड तोड़ा।
याद रहे जब मार्क स्पिट्ज ने जब 1972 के ओलंपिक गेम्स में 7 गोल्ड मेडल जीते थे तो एक पत्रकार ने उनसे कहा कि सर आज तो आपने विश्व रिकॉर्ड बनाया आज तो आपकी किस्मत लक्की रही। मार्क स्पिट्ज ने उस पत्रकार से कहा कि – “आप कहते हो मेरी किस्मत लकी रही, 1968 से मैं रोजाना 8 घण्टे तैराकी की प्रेक्टिस करता हूँ वो भी बिना इतवार के। आप 8 घण्टे पानी में बैठ जाइये, एक दिन में शरीर सिकुड़ जायेगा” आप इसे किस्मत कहते हो। एक एथिलीट 15 सेकेण्ड की परफॉर्मेस के लिए 15 साल तैयारी करता है, आप इसे किस्मत कहते हैं ये मेरी मेहनत है।
और मार्क स्पिट्ज का रिकॉर्ड तोड़ने वाले माइकल फेल्प्स की कहानी और भी ज्यादा हैरानी भरी है। बहुत कम ही लोग इस बात को जानते होंगे कि बीजिंग ओलंपिक से करीब 2 साल पहले एक एक्सीडेंट में माइकल फेल्प्स के दाहिने हाथ में फेक्चर हो गया था। डॉक्टर ने उनको तैराकी के लिये पानी में जाने से मना कर दिया। कई हफ़्तों तक वो प्रेक्टिस नहीं कर पाये। माइकल फेल्प्स की सालों की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा था। पिछले 10 साल से जो आने वाले ओलंपिक की तैयारी कर रहा था उस व्यक्ति के कैरियर पर अँधेरा सा छाने लगा था।
डॉक्टर्स की परेशानी थी कि जाने कब तक ये हाथ सही हो पायेगा और हो भी गया तो क्या गारन्टी कि उसमें पहले जितनी ताकत होगी भी या नहीं ?
क्या 8 गोल्ड मेडल विजेता का सपना चूर हो चुका था ?
क्या ये फेक्चर माइकल फेल्प्स के अंत की शुरुआत थी ?
नहीं, बिल्कुल नहीं। डॉक्टरों के मना करने पर भी माइकल फेल्प्स वापस स्वीमिंग की प्रैक्टिस करने लगे उन्होंने कहा कि वो अपने हाथ का प्रयोग नहीं करेंगे बल्कि अपने पैरों का इस्तेमाल करेंगे। कुछ लोगों ने समझाया भी कि आपका मुकाबला किसी गली मोहल्ले के बच्चों के साथ नहीं है, ये ओलंपिक गेम्स हैं जिसमें विश्व स्तर की ट्रेंनिग लिए हुए लोग आते हैं। उन लोगों ने प्रेक्टिस में दसों साल पसीना बहाया है और तुम अब पैरों के इस्तेमाल से उनका मुकाबला कैसे करोगे ?
उस महान खिलाड़ी ने फिर भी पैरों से प्रक्टिस जारी रखी, अपने पैरों को मजबूत बनाया और आने वाले बीजिंग ओलंपिक में 8 गोल्ड मेडल जीतकर मार्क स्पिट्ज का 36 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा। किसी ने सही ही कहा है – “समस्याओं का ना होना सफलता नहीं है बल्कि समस्याओं पर काबू पाना सफलता है”
माइकल फेल्प्स के सामने समस्या थी और उसने उसपर काबू किया और इतिहास रच दिया।
दोस्तों गौर करना एक एथिलीट 15 सेकेण्ड की परफॉर्मेस के लिए 15 साल तक तैयारी करता है। आज सभी लोग सफल होना चाहते हैं लेकिन कोई भी सफलता की कीमत अदा करना नहीं चाहता। आप भी 15 साल तैयारी कीजिये फिर आप भी गोल्ड मेडल जीत सकते हो। कोई आपको रोक नहीं सकता लेकिन सफलता अपनी कीमत वसूल करती है। अगर आप वो कीमत चुकाने को तैयार हैं तो एक सुनहरा भविष्य आपका इंतजार कर रहा है और अगर कीमत चुकाने को तैयार नहीं है तो कल भी आपसे ही होंगे जैसे आज हैं। धन्यवाद!!!!
- ज़िद्दी इंसान ही इतिहास रचता है
- किस्मत बदल जायेगी केवल 20 मिनट में
- कहानी जो दिल को छू ले
- जिम्मेदारी बोझ नहीं है
दोस्तों कैसा लगा ये बेहद प्रेरणादायक जीवन परिचय? ये आर्टिकल आप हिंदीसोच.कॉम पर पढ़ रहे हैं और ये कहानी प्रसिद्ध मोटिवेशनल लेखक “शिव खेड़ा” ने अपने एक सेमिनार में सुनाई थी। दोस्तों अब आपकी बारी है, जी हाँ नीचे कमेंट बॉक्स में जाएँ और अपना कीमती कमेंट हमें भेजना ना भूलें।
The post समस्याओं का ना होना सफलता नहीं है बल्कि समस्याओं पर काबू पाना सफलता है appeared first on Hindi Soch.
https://bit.ly/3wQiTtU https://bit.ly/2MfX52I Hindi Soch समस्याओं का ना होना सफलता नहीं है बल्कि समस्याओं पर काबू पाना सफलता है
No comments:
Post a Comment