सर्वपितृ अमावस्या 2018 – इस दिन करें सभी पितरों के लिये श्राद्ध

http://bit.ly/2QczkeQ

सर्वपितृ अमावस्या 2018 – Sarvapitra Amavasya 

आश्विन मास, वर्ष के सभी 12 मासों में खास माना जाता है। लेकिन इस मास की अमावस्या तिथि (सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या) तो और भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसकी सबसे बड़ी वजह है पितृ पक्ष में इस अमावस्या का होना। अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार इस साल पितृपक्ष अमावस्या 8 अक्तबूर को सोमवार के दिन है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन ही सोमवती अमावस्या का महासंयोग बन रहा है जो कि बहुत ही सौभाग्यशाली है। आइये जानते हैं इस मोक्षदायिनी सर्वपितृ सोमवती अमावस्या के बारे में।

क्या है सर्वपितृ अमावस्या – What is Sarvapitra Amavasya 

पितृपक्ष का आरंभ भाद्रपद पूर्णिमा से हो जाता है। आश्विन माह का प्रथम पखवाड़ा जो कि माह का कृष्ण पक्ष भी होता है पितृपक्ष के रूप में जाना जाता है। इन दिनों में हिंदू धर्म के अनुयायि अपने दिवंगत पूर्वजों का स्मरण करते हैं। उन्हें याद करते हैं, उनके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। उनकी आत्मा की शांति के लिये स्नान, दान, तर्पण आदि किया जाता है। पूर्वज़ों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के कारण ही इन दिनों को श्राद्ध भी कहा जाता है।

हालांकि विद्वान ब्राह्मणों द्वारा कहा जाता है कि जिस तिथि को दिवंगत आत्मा संसार से गमन करके गई थी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की उसी तिथि को पितृ शांति के लिये श्राद्ध कर्म किया जाता है। लेकिन समय के साथ कभी-कभी जाने-अंजाने हम उन तिथियों को भूल जाते हैं जिन तिथियों को हमारे प्रियजन हमें छोड़ कर चले जाते हैं। दूसरा वर्तमान में जीवन भागदौड़ भरा है। हर कोई व्यस्त है। फिर विभिन्न परिजनों की तिथियां अलग-अलग होने से हर रोज समय निकाल कर श्राद्ध करना बड़ा ही कठिन है।

लेकिन विद्वान ज्योतिषाचार्यों ने कुछ ऐसे भी उपाय निकाले हैं जिनसे आप अपने पूर्वजों को याद भी कर सकें और जो आपके समय के महत्व को भी समझे। इसलिये अपने पितरों का अलग-अलग श्राद्ध करने की बजाय सभी पितरों के लिये एक ही दिन श्राद्ध करने का विधान बताया गया। इसके लिये कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि यानि अमावस्या का महत्व बताया गया है। समस्त पितरों का इस अमावस्या को श्राद्ध किये जाने को लेकर ही इस तिथि को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है।

सर्वपितृ अमावस्या का महत्व – Importance of Sarvapitra Amavasya 

सबसे अहम तो यह तिथि इसीलिये है क्योंकि इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। वहीं इस अमावस्या को श्राद्ध करने के पिछे मान्यता है कि इस दिन पितरों के नाम की धूप देने से मानसिक व शारीरिक तौर पर तो संतुष्टि या कहें शांति प्राप्त होती ही है लेकिन साथ ही घर में भी सुख-समृद्धि आयी रहती है। सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। हालांकि प्रत्येक मास की अमावस्या तिथि को पिंडदान किया जा सकता है लेकिन आश्विन अमावस्या विशेष रूप से शुभ फलदायी मानी जाती है।

पितृ अमावस्या होने के कारण इसे पितृ विसर्जनी अमावस्या या महालया भी कहा जाता है। मान्यता यह भी है कि इस अमावस्या को पितृ अपने प्रियजनों के द्वार पर श्राद्धादि की इच्छा लेकर आते हैं। यदि उन्हें पिंडदान न मिले तो शाप देकर चले जाते हैं जिसके फलस्वरूप घरेलू कलह बढ़ जाती है व सुख-समृद्धि में कमी आने लगती है और कार्य भी बिगड़ने लगते हैं। इसलिये श्राद्ध कर्म अवश्य करना चाहिये।

पितृ अमावस्या को श्राद्ध करने की विधि 

सर्वपितृ अमावस्या को प्रात: स्नानादि के पश्चात गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिये। इसके पश्चात घर में श्राद्ध के लिये बनाये गये भोजन से पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौए, देव एवं चीटिंयों के लिये भोजन का अंश निकालकर उन्हें देना चाहिये। इसके पश्चात श्रद्धापूर्वक पितरों से मंगल की कामना करनी चाहिये। ब्राह्मण या किसी गरीब जरूरतमंद को भोजन करवाना चाहिये व सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा भी देनी चाहिये। संध्या के समय अपनी क्षमता अनुसार दो, पांच अथवा सोलह दीप भी प्रज्जवलित करने चाहियें।

सर्वपितृ अमावस्या तिथि व श्राद्ध कर्म मुहूर्त

सर्वपितृ अमावस्या तिथि – 8 अक्तूबर 2018, सोमवार

  • कुतुप मुहूर्त – 11:45 से 12:31
  • रौहिण मुहूर्त – 12:31 से 13:17
  • अपराह्न काल – 13:17 से 15:36
  • अमावस्या तिथि आरंभ – 11:31 बजे (8 अक्तूबर 2018)
  • अमावस्या तिथि समाप्त – 09:16 बजे (9 अक्तूबर 2018)
https://ift.tt/2DA3uB5 http://bit.ly/2pnaflz Bhaktisanskar.com – भक्ति और अध्यात्म का संगम सर्वपितृ अमावस्या 2018 – इस दिन करें सभी पितरों के लिये श्राद्ध

No comments:

Post a Comment

Featured Post

5 Famous – देशभक्ति गीत – Desh Bhakti Geet in Hindi

https://bit.ly/2ncchn6 स्कूल में गाने के लिए देश भक्ति गीत – भारतीय देश भक्ति गीत (सॉन्ग) ये देश भक्ति गीत उन शहीदों को समर्पित हैं जिन्हो...