नीव भराई से गृह निर्माण तक का सम्पूर्ण वास्तु ज्ञान और उपाय

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नीव भराई से गृह निर्माण तक का सम्पूर्ण वास्तु ज्ञान और उपाय

हिन्दू रीती-रिवाजों और शास्त्रों के अनुसार, हर काम वास्तु, दिशा और मुहूर्त विचार के बाद ही करना चाहिए। गृह निर्माण, नींव पूजन, नींव भराई का काम शुरू करने से पहले देवों का आह्वान, हवन और शुभ मुहूर्त पर विचार कर लेना चाहिए। कहा जाता है यदि शुभ मुहूर्त में गृहारंभ से जुड़ा कोई भी कार्य किया जाए तो मकान जल्द ही बनकर तैयार हो जाता है।

वास्तु पूजन है जरुरी

इसके अलावा निर्माण कार्य से पूर्व वास्तु पूजन कराना भी आवश्यक होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, भवन निर्माण के किसी भी कार्य में वास्तु का बहुत अधिक महत्व होता है। यदि गृहारंभ के हर कार्य में वास्तु के नियमों का पालन किया जाए तो घर में सुख समृद्धि आती है और साथ-साथ वह घर परिवारजनों के जीवन में खुशियां लाता हैं।

नींव पूजन में नाग के जोड़े का महत्व

भूमि पूजन करते समय भी खास बातों का ध्यान रखा जाता। शास्त्रों के अनुसार, जमीन (धरती लोक) के नीचे पाताल लोक है, और पाताल लोक के स्वामी शेषनाग हैं। श्रीमद्भागवत महापुराण के पांचवें स्कंद के अनुसार पृथ्वी लोक के नीचे पाताल लोक है और उसके स्वामी शेषनाग है इसलिए किसी भी जमीन पर नींव पूजन या भूमि पूजन करते समय चांदी के नाग का जोड़ा नींव में रखा जाता है।

नींव रखने से पूर्व इन बातों का ध्यान रखें

भूमि पूजन, नींव खुदाई, कुआँ खुदाई, घर बनाना और गृह प्रवेश के समय वास्तु देव की पूजा करना आवश्यक होता है। पूजा के लिए शुभ दिन शुभ मुहूर्त या रवि पुष्य योग होना चाहिए। तभी पूजा करवाएं।

नींव खोदने के लिए दिशा-विचार

तालाब, मंदिर, कुआं या गृह निर्माण करते समय नींव खोदने के लिए दिशा विचार करना बहुत आवश्यक होता है।

मंदिर के लिए दिशा-विचार

मंदिर की नींव खुदवाते समय मीन, मेष, और वृष का सूर्य हो तो राहु का मुख ईशानकोण में; मिथुन, कर्क और सिंह में सूर्य हो तो राहु का मुख वायव्य-कोण में; कन्या, तुला और वृश्चिक में सूर्य हो तो नैऋत्य-कोण में एवं धनु, मकर और कुंभ में सूर्य हो तो आग्नेय-कोण में राहु का मुख रहता है।

घर बनवाने के लिए दिशा-विचार

घर बनवाना हो तो सिंह, कन्या और तुला के सूर्य में राहु का मुख ईशान-कोण में; वृश्चिक, धनु और मकर के सूर्य में राहु का मुख वायव्य-कोण में; कुंभ, मीन और मेष राशि के सूर्य में राहु का मुख नैऋत्य-कोण में एवं वृष, मिथुन और कर्क राशि के सूर्य में राहु का मुख आग्नेय कोण में रहता है।

जलाशय, कुआं, तालाब के लिए दिशा-विचार

जलाशय, कुआं, तालाब के लिए नींव खुदवाते समय मकर, कुंभ और मीन राशि के सूर्य में राहु का मुख ईशान-कोण में; मेष, वृष और मिथुन के सूर्य में राहु का मुख वायव्य-कोण में; कर्क, सिंह और कन्या के सूर्य में राहु का मुख नैऋत्य-कोण में एवं तुला, वृश्चिक और धनु राशि के सूर्य में राहु का मुख आग्नेय-कोण में रहता है। जलाशय की नींव खोदते समय मुख का भाग छोड़कर पृष्ठ भाग से खोदना शुभ होता है।

नींव की खुदाई

पूजन करने के बाद नींव की खुदाई हमेशा ईशान कोण में ही शुरू करनी चाहिए। ईशान कोण के बाद आग्नेय-कोण की खुदाई करनी चाहिए। आग्नेय-कोण के पश्चात् वायव्य-कोण की और उसके पश्चात् नैऋत्य-कोण की खुदाई करना शुभ होता है। विभिन्न कोणों की खुदाई करने के बाद दिशा की खुदाई करनी चाहिए। इसके लिए सबसे पहले पूर्व, फिर उत्तर, फिर पश्चिम और अंत में दक्षिण दिशा की खुदाई करनी चाहिए।

नींव की भराई

नींव की भराई, नींव की खुदाई की विपरीत दिशा में करनी चाहिए। इसके लिए सबसे पहले नैऋत्य-कोण की भराई करें, फिर वायव्य, आग्नेय और ईशान-कोण की भराई करें। दिशा के अनुसार सबसे पहले दक्षिण दिशा में भराई करें। फिर पश्चिम ,उत्तर व पूर्व में भराई करें।

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