रामू गाँव का सबसे गरीब किसान था। अपने पिता की चौथी संतान था, ना तो सही से पालन पोषण हुआ और ना ही अच्छी शिक्षा प्राप्त हुई। हाँ लेकिन एक काम रामू को सबसे अच्छा आता था, वो था – समोसा बनाना। रामू कान से बहरा था लेकिन समोसा इतना शानदार बनाता कि खाने वाले उँगलियाँ चांटते रह जाएँ।
रामू ने एक समोसे की दुकान खोली, अब क्यूंकि रामू समोसा स्वादिष्ट बनाता ही था सो उसकी दुकान खूब चल निकली। रामू दिन रात तरक्की करने लगा। अब रामू ने एक नौकर भी रख लिया। रामू रोज आलू का आर्डर बढ़ा देता क्यूंकि दुकान पर समोसे की सेल बढ़ती जा रही थी।
एक दिन ऐसा भी आया जब रामू मंडी में सबसे ज्यादा आलू खरीदने वाला व्यक्ति बन गया। रामू ना तो कभी रेडियों पे ख़बरें सुनता था क्यूंकि बहरा था, टीवी तो उसके पास था ही नहीं और बेचारा पढ़ा लिखा भी नहीं था तो कभी अख़बार में भी ख़बरें नहीं पढ़ पाता था।
रामू की दुकान अच्छी चल रही थी तो उसने अपने बेटे को भी समोसे के बिजनिस में लगा दिया जो हॉस्टल में रहकर पढाई कर रहा था।
एक दिन बेटे ने रामू से कहा – पिताजी आज कल टीवी और अख़बार सभी जगह खबर फ़ैल रही है कि आर्थिक मंदी आने वाली है तो क्यों ना आलू की डिमांड कम कर दी जाये जो पैसे हैं उन्हें बचाइए। रामू को लगा बेटा तो पढ़ा लिखा है सब जानता है और उसने आलू की डिमांड कम कर दी।
अब धीरे धीरे समोसे भी कम बिकने लगे क्यूंकि आलू कम ही आते थे। रामू ने आर्थिक मंदी के डर से आलू की डिमांड और कम कर दी। धीरे धीरे रामू की दुकान बंद होने के कगार पर आ गयी। अब रामू अपने बेटे से बोला – बेटा तूने सही कहा था सचमुच आर्थिक मंदी से हमारा धंधा ही बंद हो गया।
दोस्तों हम भी तो कुछ कुछ रामू के जैसे ही हैं – जब तक हम अपने लक्ष्य पर फोकस करके आगे बढ़ते रहते हैं जब तक हम सफल होते जाते हैं लेकिन जैसे ही हम समस्या के बारे में सुनते हैं या कोई समस्या सामने आती है तो हमारा फोकस अपने लक्ष्य पर कम बल्कि अपनी समस्या पर ज्यादा हो जाता है।
अगर आप परेशानियां देखेंगे तो हर जगह परेशानियां ही नजर आएँगी, समस्या तो हर काम में आती है, अगर समस्या के बारे में ही सोचते रहेंगे तो परेशानियां आप पर हावी हो जाएँगी और आप अपने लक्ष्य से भटक जायेंगे।
अर्जुन की तरह केवल एक लक्ष्य पर नजर रखिये, और भ्रमित करने वाले लोगों से बचिये। अपनी दिशा में आगे बढ़ते जाइये आप जरूर कामयाब होंगे।
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कहानी कैसी लगी कमेंट जरूर करें…..
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