खुशियों का राज: मित्रों यूँ देखा जाये तो सुख और दुःख दोनों ही जीवन के प्रमुख पहलू हैं, चाहें कोई गरीब हो या अमीर, राजा हो या रंक, कमजोर या सबल, सबके जीवन सुख के साथ दुःख भी आते ही हैं। लेकिन अच्छी सोच और अच्छे व्यवहार वाला व्यक्ति अपने दुःख को भी सुख में बदल लेता है। आज हम इस लेख में जानने की कोशिश करेंगे कि कैसे हम हमेशा खुश रहें? और कैसे रखें खुद को दुखों से कोसों दूर?
संतुष्ट रहें- जो कुछ भगवान ने आपको दिया है या जो कुछ आपने हासिल किया है उसी में संतुष्ट रहना सीखें। अक्सर देखा जाये तो असंतुष्टि दुःख की प्रमुख वजह होती है। जब हमारा मित्र कक्षा में हमसे ज्यादा मार्क्स लाता है तो दुःख होता है, जब हमारे पड़ोसी नया बंगला बनवाते हैं तो दुःख होता है, जब कोई साथी नई कार खरीदता है तो दुःख होता है, बड़ा Business खोलता है तो दुःख होता है।
मित्रों साफ शब्दों में कहें तो हम अपने दुःख से उतने दुःखी नहीं हैं जितना की दूसरे के सुख से, मानो ना मानो यही सच्चाई है। तो खुद को संतुष्ट रखिये, संतुष्ट का मतलब ये नहीं कि आप दूसरों से आगे बढ़ने का प्रयास ही खत्म कर दें। प्रयास करते रहें लेकिन ईर्ष्या या जलन की भावना खुद के अंदर ना आने दें।
खोजिए अपने जैसे मित्र- मेरी एक पर्सनल सलाह है कि आप हमेशा अपने जैसे ही लोगों को अपने मित्र बनायें। अगर आपका मित्र मोटा होगा तो आप हमेशा खुद को पतला महसूस करेंगे, आपका मित्र अमीर होगा तो आप हमेशा खुद को गरीब महसूस करेंगे, आपका मित्र लम्बा होगा तो आप हमेशा खुद को छोटा महसूस करेंगे। ये सब चीजें आपको दुःख देंगी आपको लगेगा कि मेरे मित्र के पास ही सब कुछ है मेरे पास तो कुछ है ही नहीं, तो कोशिश करें अपने जैसे लोगों को ही मित्र बनायें, यकीन माने आप पहले से दोगुना खुश रहेंगे।
फालतू बातों को नजरअंदाज करें- एक बार सुकारत के पास आदमी आया और बोला कि कुछ लोग आपके बारे में बहुत कुछ बुरा भला कह रहे थे मैं आपको बताना चाहता हूँ।
सुकरात बोले – क्या को चीज़ मेरे काम की है?
आदमी- नहीं,
सुकरात- क्या वो बात मेरे लिए जरुरी है?
आदमी- नहीं ,
सुकरात – क्या वो बात मुझे ख़ुशी देगी?
आदमी -नहीं,
सुकरात -तो फिर वो बात मुझे ना ही बताओ तो बेहतर है।
तो मित्रों जो बातें आपको दुःख दे रही हो उनको नजरअंदाज करिये। कई बार हम फालतू की चीज़ों को लेकर दुखी रहते हैं जिनसे कोई फायदा भी नहीं है, केवल उन्हीं बातों को सुनिए जो आपको ख़ुशी दें।
तुलना ना करें- आपका कोई मित्र बहुत अमीर है या करियर के क्षेत्र में आपसे आगे है तो कोशिश करें कि आप उनसे अपनी तुलना ना करें क्यूंकि ये चीज़ हमेशा आपको दुःख देने वाली है।
तुलना ना करें और दूसरों की सफलता को एक प्रेरणा की तरह लें कि जितनी मेहनत करके दूसरा इंसान सफल हुआ है हम उससे ज्यादा मेहनत करेंगे और सफल होंगे ऐसी भावना होनी चाहिए। फिर देखिए आपके दुःख छूमंतर हो जायेंगे और आपके चारों ओर होंगी खुशियाँ और बस खुशियाँ।
जियें आखिरी दिन की तरह- जब हम छोटे थे और जब स्कूल का आखिरी दिन होता था, एग्जाम खत्म होने बाद, कितने खुश होते थे हम उस दिन। लगता था जैसे आजादी मिल गयी है, अब खूब मस्ती करेंगे, सुख देने वाले दिन होते थे वो, एक अलग अहसास और अलग उमंग होती थी दिल में।
कितना अच्छा हो कि वो सुख हम रोज प्राप्त कर सकें? तो सोचिये कि आज आपका आखिरी दिन हैं, जी लीजिये अपनी जिंदगी, समेट लीजिये सारी खुशियाँ आज दुःख की कोई गुंजाइश नहीं है।
मित्रों आज आप भी मन में गाँठ बाँध लीजिये और हमेशा खुश रहने की कोशिश करिये। इस लेख को पढ़कर अपने विचार हमें कमेंट में जरूर लिखिए, बहुत अच्छा लगता है जब लोग अपनी बातें हमसे शेयर करते हैं। एक request और है कि अगर आपको पढ़कर अच्छा लगे तो अपने अपने Facebook profile पे जरूर शेयर करें जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग article पढ़ सकें। धन्यवाद !!!!
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