भाग्य में राजयोग – Rajyog in Astrology
ज्योतिष अनुसार कुंडली में नौवें और दशवें भाव का बहुत बड़ा महत्व है। नौवां भाव भाग्य का और दशवाँ कर्म का भाव माना जाता है। कोई भी व्यक्ति इन दोनों घरों की वजह से ही जीवन में सुख और समृधि प्राप्त करता है। कर्म से ही भाग्य का निर्माण होता है और अच्छा भाग्य,हमेशा व्यक्ति से अच्छा ही कार्य करवाता है। अगर जन्म कुंडली के लग्न,नौवें या दशवें घर में सूर्य और गुरु ग्रह मौजूद रहते हैं तो उन परिस्थितियों में राजयोग (Rajyog in indian astrology) का निर्माण होता है। राज योग एक ऐसा योग होता है जो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप में राजा के समान सुख प्रदान करता है। इस योग को प्राप्त करने वाला व्यक्ति सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने वाला होता है।
कुंडली में सामान्यतः ज्यादातर राजयोगों की ही चर्चा होती है कई बार ज्योतिषी कुछ दुर्योगों को नजरअंदाज कर जाते हैं जिस कारण राजयोग फलित नहीं होते और जातक को ज्योतिष विद्या पर संशय होता है परन्तु कुछ ऐसे दुर्योग हैं जिनके प्रभाव से जातक कई राजयोगों से लाभांवित होने से चूक जाते हैं हम आपको कुछ ऐसे ही योगों से परिचित करायेंगे जिनके कुंडली में उपस्थित होने से राजयोग भंग हो जाता है। तो आइये जानते हैं वह दुर्योग कौन से हैं और कुंडली में कैसे बनते हैं…
ग्रहण योग
कुंडली में कहीं भी सूर्य अथवा चन्द्रमा की युति राहू या केतु से हो जाती है तो इस दोष का निर्माण होता है। यदि यह योग चन्द्रमा के साथ बना तो जातक हमेशा डर व घबराहट महसूस करता है और चिड़चिड़ापन उसके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है साथ ही माँ के सुख में कमी, किसी भी कार्य को शुरू करने के बाद उसे अधूरा छोड़ देना व नये काम के बारे में सोचना इस योग के लक्षण हैं।
किसी भी प्रकार के फोबिया अथवा किसी भी मानसिक बीमारी जैसे डिप्रेशन, सिज्रेफेनिया आदि इसी योग के कारण माने गये हैं यदि चन्द्रमा अधिक दूषित हो जाता है या कहें अन्य पाप प्रभाव में भी हो जाता है तो मिर्गी, चक्कर व मानसिक संतुलन खोने का डर भी होता है।
सूर्य द्वारा बनने वाला ग्रहण योग पिता के सुख में कमी करता है जातक का शारारिक ढांचा कमजोर रह जाता है। आंखों व ह्रदय संबंधी रोगों का कारक बनता है सरकारी नौकरी या तो मिलती नहीं या उस में निर्वाह मुश्किल से होता है। डिपार्टमैंटल इंक्वाइरी, सजा, तरक्की में रूकावट आदि सब इसी योग का परिणाम हैं।
गुरू चांडाल दोष
गुरू की किसी भाव में राहू से युति चंडाल योग बनाती है शरीर पर घाव का चिन्ह लिए ऐसा जातक भाग्यहीन होता है। आजीविका से जातक कभी संतुष्ट नहीं होता, बोलने में अपनी शक्ति व्यर्थ करता है व अपने सामने औरों को ज्ञान में कम आंकता है जिस कारण स्वयं धोखे में रहकर पिछड़ जाता है यह योग जिस भी भाव में बनता है उस भाव को साधारण कोटि का बना देता है। मतांतर से कुछ विद्वान राहू की दृष्टि गुरू पर या गुरू की केतू से युति को भी इस योग का लक्षण मानते हैं।
दरिद्र योग
लग्न या चन्द्रमा से चारों केन्द्र स्थान खाली हों या चारों केन्द्रों में पाप ग्रह हों तो दरिद्र योग बनता है ऐसा जातक अरबपति के घर में जन्म में भी ले ले तो भी उसे आजीविका के लिए भटकना पड़ता है व दरिद्र जीवन बिताने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
शकट योग
चन्द्रमा से छठे या आठवें भाव में गुरू हो व ऐसा गुरू लग्न से केंद्र में न बैठा हो तो शकट योग का होना माना जाता है ऐसा जातक जीवन भर किसी न किसी कर्ज से दबा रहता है व सगे संबंधी उपेक्षा करते हैं और जातक अपने जीवन में अनगिनत उतार चढाव देखता है।
कलह योग
यदि चन्द्रमा पाप ग्रह के साथ राहू से युक्त हो 12वें,5वें या 8वें भाव में हो तो कलह योग माना गया है ऐसा जातक जीवन भर किसी न किसी बात को लेकर कलह करता रहता है और अंत में इसी कलह के कारण तनाव में उसका जीवन तक नष्ट हो जाता है।
यद्दपि उपरोक्त दुर्योग किसी की कुंडली में राजयोग को भंग कर देते हैं किन्तु हमारे ज्योतिष शास्त्र में किसी दुर्योग को उपाय के माध्यम से कम किया जा सकता है। संबन्धित ग्रह की पूजा, दान, मंत्र जाप से इन योगों के दुष्प्रभावों को कम करके जीवन खुशहाल बनाया जा सकता है।
बिगड़े राजयोग को पुनः मजबूत करने के उपाय
- पीतल के गणपति भगवान की एक मूर्ति लें (जिसका पहले पूजन न किया गया हो ) वह छोटी बडी़ किसी भी आकार की हो सकती है। बुधवार के दिन प्रात:काल उसे स्नान करा कर, उस पर केसर लगाएं तथा उसे रक्त चंदन का तिलक करें। गुड़ का भोग लगाएं और 21 पुष्पो से पूजन करें। पुष्प कनेर के होने चाहिए। गणपति पर पुष्प चढ़ाते समय अपनी धन-संबंधी कामना को अवश्य करते रहें।
- पांच कुंआरी कन्याओं को भोजन कराएं और उन्हें यथोचित भेंट दें। ऐसा करने पर व्यक्ति जिस कामना से यह साधना करता है, वह अवश्य ही पूर्ण हो जाती हैं।
- घर के उत्तर-पश्चिम कोण में मिट्टी के पात्र में कुछ सोने-चांदी के सिक्के लाल वस्त्र में बांधकर रखें। फिर पात्र को गेहूं या चावलो से भर दें। इससे धन का अभाव नहीं रहेगा।
- बुधवार के दिन गाय को अपने हाथों से हरी घास खिलाये तो आर्थिक स्थिति की अनुकूलता का योग बनेगा।
- पीपल के पांच पत्ते लेकर उन्हें पीले चंदन से रंगकर, बहते हुए जल में छोड़ दें। यह उपाय शुक्ल पक्ष से आरंभ करें। गुरु पुष्प नक्षत्र हो तो बहुत अच्छा है।
- किसी भी व्यक्ति का ऋण उतारने के लिए किसी भी मंगलवार के दिन शिवमंदिर में जाकर शिव-पिंडी पर मसूर की दाल चढ़ाए। जब तक ऋण न उतरजाए, यह प्रयोग करते रहें।
- यदि धनमार्ग अवरुद्ध हो तो केसर तथा पीले चंदन का तिलक मस्तक परलगाएं। ऐसा करने से आमदनी के स्रोत खुल जाते हैं। यह क्रिया शुक्ल पक्ष के बृहस्पतिवार को दोपहर बारह बजे शुरु करें। मंदिर में जाकर राम दरबारके समक्ष दंड़वत् प्रणाम करते रहें। इससे धन मार्ग प्रशस्त हो जायेगा।
- प्रत्येक गुरुवार को पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ायें । इससे राजयोग योगबनता है।
- किसी भी शुभ समय में एक पंचमुखी रूद्राक्ष तथा स्फटिक के 2 मोतियों को अभिमंत्रित करें। फिर रूद्राक्ष के दोनों ओर उन मोतियों को लाल धागे में पिरोकर धारण करने से आपके जीवन में राजयोग बनेगा।
- सुख, समृद्धि एवं उन्नति के लिए किसी भी महीने के पहले गुरुवार के दिन कच्चे सूत को केसर से रंग कर अपने घर के बाहरी दरवाजे पर बांध दें।
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