स्वतंत्रता दिवस के मंगलमय अवसर पर समस्त राष्ट्र के साथ हम सबको राष्ट्रीय आदर्शों से प्रेरित होना होगा| आदर्शो में अपराजेय शक्ति और प्रेरणा भरी होती है और मनुष्य को महान बनाते हैं| उनके बिना भौतिक समृद्धि तो आ सकती है, परन्तु मनुष्य जीवन का लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता| विज्ञान और तकनीकी ज्ञान रेलगाड़ी एवं विमान की गति को बढ़ा सकते है, परन्तु किसी राष्ट्र की चेतना को जाग्रत करके आदर्श के बीज नहीं बो सकते हैं| व्यक्ति जब ऊँचे आदर्शो से जुड़ता है, तभी उसका जीवन उदात्त बनता है|
भारत एक पुण्यभूमि है, महान भूमि है| इस पूरी वसुधा पर यदि कोई एक देश है, जहाँ आध्यात्मिक अन्वेषण अपने शिखर को उपलब्ध हो सका तो वह भारत ही है| अत्यंत प्राचीनकाल से ही यहाँ पर भिन्न-भिन्न धर्मो के संस्थापकों ने अवतार लेकर सारे संसार को सत्य की आध्यात्मिक, सनातन और पवित्र धारा से बांरबार सराबोर किया है|
इस देश की मिट्टी ऐसी पवित्र मिट्टी है कि यदि वो तप जाती है तो छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान जैसे शूरमाओं को जन्म देती है, यदि वो गल जाती है तो स्वामी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद जैसे संतो को जन्म देती है तुलसी, सूर, मीरा, चैतन्य जैसे भक्तों में बदल जाती है, यदि वो ज्ञान के साथ जुड़ जाती है तो शंकर, रामानुज, मध्व, पंतजलि जैसे विद्वानों को जन्म देती है और यदि वह अर्पित हो जाती है तो सप्तर्षियों में, गुरूओं में, अवतारों में व तीर्थकरों में बदल जाती है|
संभवतया इसीलिए अपने विदेश प्रवास से लौटने पर स्वामी विवेकानंद ने कहा था “यदि पृथ्वी पर कोई ऐसा देश है, जिसे हम पुण्यभूमि कह सकते हैं, यदि कोई ऐसा स्थान है, जहाँ पृथ्वी के सब जीवों को अपना कर्मफल भोगने के लिए आना ही पड़ता है, यदि कोई स्थान जहाँ भगवान की ओर उन्मुख होने के प्रयत्न में संलग्न रहने वाले जीवमात्र को अंततः आना होगा, यदि कोई ऐसा देश है, जहाँ मानव जाति की क्षमा, दया, शुद्धता आदि सद्वृत्तियों का सर्वाधिक विकास हुआ है और यदि कोई देश है, जहाँ आध्यात्मिकता तथा आत्मान्वेषण का सर्वाधिक विकास हुआ है, तो वह भूमि भारत ही है|”
पवित्रता व प्रखरता की धाराओं से आप्लावित उन शब्दों को साक्षी मानकर आज यह विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि आने वाले समय में इसी देश से आदर्शो की वह धारा बहेगी, जो भटकी मानवता को सही दिशा प्रदान करेगी| और यह विश्वास करने की आवश्यकता है कि कल यही होने जा रहा है, यही सत्य है और यही भारत का सुनिश्चित एवं गौरवशाली भविष्य है|
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