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धनतेरस 2018 – Dhanteras 2018
भारत देश में त्योहारों का बड़ा अनोखा संगम हैं ,यहाँ पर हर धर्म में अलग अलग त्यौहार मनाये जाते हैं लेकिन दीपावली का त्यौहार तो हर धर्म के लोग मनाते हैं, दीपावली के दो दिन पहले धनतेरस का त्यौहार छोटी दिवाली के एक दिन पहले मनाया जाता हैं जो कई धन के देवता कुबेर जी की पूजा की जाती है, और इस दिन लोग बाजारों से नये सामान की खरीदारी करते हैं इस दिन कई लोग तो बड़े साधन का विधि विधान से महूर्त कर के अपने घर लाते हैं, इस दिन कोई भी सामान लेना बहुत ही शुभ माना जाता हैं |
धन त्रयोदशी भी कहते है – धन त्रयोदशी 2018
धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस का दिन धन्वन्तरि त्रयोदशी या धन्वन्तरि जयन्ती भी होती है। जो आयुर्वेद के देवता का जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। धनतेरस हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्व रखता है। इस दिन लोग नई चीजें अपने घर लातें है साथ ही इस दिन श्री गणेश और लक्ष्मी घर लाएं जाते है। इस दिन की मान्यता है कि इस दिन कोई किसी को उधार नही देता है। इसलिए सभी नई वस्तुएं लातें है। इस दिन लक्ष्मी और कुबेर की पूजा के साथ-साथ यमराज की भी पूजा की जाती है। इस दिन की बहुत अधिक महत्व है।
दीपावली ऐसा त्योहार है जो धनतेरस के साथ शुरू होता है और भैया दूज के साथ खत्म। इस बीच छोटी दीपावली या नरक चतुर्दशी, बड़ी दीवाली, गोवर्धन पूजा जैसे पर्व मनाये जाते हैं। घरों में पूजा पाठ और तमाम तरह के पकवान बनते हैं। इस पांच पर्वों का त्यौहार सोमवार से शुरू होगा। धनतेरस यानी धन्वन्तरि जयंती। मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन में धन्वन्तरि जी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस दिन वैद्य भगवान धन्वन्तरि की पूजा अर्चना करते हैं। घरों के दरवाजे दीयों से जगमगा उठते हैं। लोग माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए खूब खरीददारी करते हैं।
धनतेरस का महत्व – Importance Of Dhanteras
- साथ ही इस दिन नये उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है.
- शुभ मुहूर्त समय में पूजन करने के साथ सात धान्यों की पूजा की जाती है.
- सात धान्य गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर है.
- सात धान्यों के साथ ही पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प से भगवती का पूजन करना लाभकारी रहता है.
- इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिये नैवेद्ध के रुप में श्वेत मिष्ठान्न का प्रयोग किया जाता है.
- साथ ही इस दिन स्थिर लक्ष्मी का पूजन करने का विशेष महत्व है.
धन त्रयोदशी के दिन देव धनवंतरी देव का जन्म हुआ था, धनवंतरी देव, देवताओं के चिकित्सकों के देव है, यही कारण है कि इस दिन चिकित्सा जगत में बडी-बडी योजनाएं प्रारम्भ की जाती है, धनतेरस के दिन चांदी खरीदना शुभ रहता है –
भगवान कुबेर की पूजन विधि – Kuber ki Puja Vidhi
धनतेरस की पूजा सही प्रकार तथा सही विधि में करनी चाहिए. इससे घर में सुख-शांति में अनुभव होता है तथा घर में धन की कमी नही होती. साथ ही इस दिन नये उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है. शुभ मुहूर्त समय में पूजन करने के साथ सात धान्यों की पूजा की जाती है.
धनतेरस के दिन पूजा करने के लिए सबसे पहले तेरह दीपक जला कर तिजोरी में कुबेर की पूजा करें. इसके बाद देव कुबेर को फूल चढाएं, अब भगवान कुबेर का ध्यान करें और बोलें कि – हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले, गरूडमणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा व वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृ्त शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र देव कुबेर हम आपका ध्यान करते हैं. इसके बाद भगवान कुबेर का धूप, दीप, नैवैद्ध से पूजन करें और मन्त्र पढ़े.
‘यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा ।’
धनतेरस 2018 पूजा शुभ मुहूर्त – Best Time for Dhanteras Puja
प्रदोष काल
सूर्यास्त के बाद के 2 घण्टे 24 की अवधि को प्रदोषकाल के नाम से जाना जाता है. प्रदोषकाल में दीपदान व लक्ष्मी पूजन करना शुभ रहता है, दिल्ली में 5 नवम्बर सूर्यास्त समय सायं 17:30 तक रहेगा. इस समय अवधि में स्थिर लग्न 18:10 से लेकर 20:09 तक वृषभ लग्न रहेगा. मुहुर्त समय में होने के कारण घर-परिवार में स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है |
चौघाडिया मुहूर्त
5 नवम्बर 2018,
अमृ्त काल मुहूर्त 16:30 से 18:00 तक
चर 18:56 से लेकर 19:30 तक
उपरोक्त में लाभ समय में पूजन करना लाभों में वृ्द्धि करता है. शुभ काल मुहूर्त की शुभता से धन, स्वास्थय व आयु में शुभता आती है. सबसे अधिक शुभ अमृ्त काल में पूजा करने का होता है |
सांय काल में शुभ महूर्त
प्रदोष काल का समय 17:31 से 20:04 तक रहेगा, स्थिर लग्न 18:10 से 20:09 तक रहेगा. धनतेरस की पूजा के लिए उपयुक्त समय 18:10 से 20:04 के मध्य तक रहेगा |
धनतेरस की पौराणिक कथा
एक जमाने में एक राजा हुआ करते थे. जिनका नाम हेम था। दैव कृपा के कारण उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुयी थी. जब उनके पुत्र की ज्योंतिषियों द्वारा बनवाई गयी तो उससे पता चला की बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद उसकी मृत्यु हो जाएगी. जब राजा को यह बात पता चली तो उसे बहुत दुःख हुआ. इसलिए राजा ने अपने पुत्र को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े.
दैवयोग से एक दिन वहां से एक राजकुमारी गुजर रही थी तभी राजकुमार ने राजकुमारी को देखा और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया. जब उन दोनों ने विवाह कर लिया तो विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचे. जब यमदूत राजकुमार प्राण ले जा रहे थे उस वक्त नवविवाहिता उसकी पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा परंतु विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा. इसके बाद यमदूत ने यमराज से विनती की हे यमराज क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु के लेख से मुक्त हो जाए.
तब यमराज बोले कार्तिक कृष्ण पक्ष की रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीप माला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं |
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कारोबारियों के लिए धनतेरस का खास महत्व
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस की पूजा के साथ ही दीपावली के आयोजन शुरू हो जाते हैं। कारोबारियों के लिए धनतेरस का खास महत्व होता है क्योंकि धारणा है कि इस दिन लक्ष्मी पूजा से समृद्धि, खुशियां और सफलता मिलती है। लक्ष्मी के पैरों के संकेत के तौर पर रंगोली से घर के अंदर तक छोटे छोटे पैरों के चिह्न बनाए जाते हैं। शाम को 13 दिए जला कर लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन लक्ष्मी पूजा से समृद्धि, खुशियां और सफलता मिलती है। इस दिन कारोबारी व व्यवसायी अपने पुराने बही खातों को बंद कर नए खातों की शुरुआत करते हैं |
धनतेरस के टोटके
धनतेरस के दिन पांच रुपए का साबुत धनिया खरीदें। इसे संभालकर पूजा घर में रख दें। दीपावली की रात लक्ष्मी माता के सामने साबुत धनिया रखकर पूजा करें। अगले दिन प्रातः साबुत धनिया को गमले में या बाग में बिखेर दें। माना जाता है कि साबुत धनिया से हरा भरा स्वस्थ पौधा निकल आता है तो आर्थिक स्थिति उत्तम होती है।
धनतेरस में क्या खरीदें
लक्ष्मी जी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन घर लाना, घर- कार्यालय,. व्यापारिक संस्थाओं में धन, सफलता व उन्नति को बढाता है. इस दिन भगवान धनवन्तरी समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिये इस दिन खास तौर से बर्तनों की खरीदारी की जाती है. इस दिन बर्तन, चांदी खरीदने से इनमें 13 गुणा वृ्द्धि होने की संभावना होती है. इसके साथ ही इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि करता है. दीपावली के दिन इन बीजों को बाग/ खेतों में लागाया जाता है ये बीज व्यक्ति की उन्नति व धन वृ्द्धि के प्रतीक होते है |
http://bit.ly/2zrpPAV http://bit.ly/2pnaflz Bhaktisanskar.com – भक्ति और अध्यात्म का संगम धनतेरस 2018: पूजा मुहूर्त, महत्व, कथा और अत्यंत लाभकारी टोटके जिसे घर में होगी चांदी
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