नामकरण मुहूर्त 2018 – शिशु के नाम का निर्धारण करने के शुभ मुहूर्त और तिथि

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नामकरण संस्कार मुहूर्त 2018 – Namkaran Sanskar 2018

नामकरण संस्कार का मतलब है शिशु के नाम का निर्धारण करना। सरल शब्दों में अगर कहा जाये तो नाम रखने की प्रक्रिया को नामकरण कहा जाता है। नाम से ही व्यक्ति की पहचान होती है। हर धर्म में अलग-अलग रीति और रिवाजों से बच्चों के नाम रखे जाते हैं। हिन्दू धर्म में नाम रखने के लिए नामकरण संस्कार का विशेष विधान है। मुंडन, अन्नप्राशन, कर्णवेध और विद्यारंभ की तरह नामकरण संस्कार का भी बड़ा महत्व है। प्राचीन काल में स्वयं विद्वान ज्योतिषी या पंडित इस संस्कार को रीति और नीति से संपन्न कराते थे। हालांकि आज के आधुनिक युग में माता-पिता स्वयं अपने बच्चे का नाम रखते हैं।

जानें साल 2018 में नामकरण के शुभ मुहूर्त और जानें किस तारीख, समय व नक्षत्र में पूरा करें बच्चों का नामकरण संस्कार।

नामकरण मुहूर्त 2018

दिनांक

तिथि वार

टिप्पणी

20 सितंबर

एकादशी गुरुवार उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में

21 सितंबर

द्वादशी शुक्रवार श्रवण नक्षत्र में
26 सितंबर प्रथमा बुधवार

रेवती नक्षत्र में

27 सितंबर

द्वितीया गुरुवार

अश्विनी नक्षत्र में

1 अक्टूबर

सप्तमी सोमवार मृगशिरा नक्षत्र में
4 अक्टूबर दशमी गुरुवार

पुष्य नक्षत्र में

5 अक्टूबर

एकादशी शुक्रवार मघा नक्षत्र में
10 अक्टूबर प्रथमा बुधवार

चित्रा नक्षत्र में

11 अक्टूबर

तृतीया गुरुवार स्वाति नक्षत्र में

5 नवंबर

त्रयोदशी सोमवार

हस्ता नक्षत्र में

9 नवंबर द्वितीया शुक्रवार

अनुराधा नक्षत्र में

10 दिसंबर

तृतीया सोमवार उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में
12 दिसंबर पंचमी बुधवार

श्रवण नक्षत्र में

13 दिसंबर

षष्टी गुरुवार धनिष्ठा नक्षत्र में
14 दिसंबर सप्तमी शुक्रवार

शतभिषा नक्षत्र में

कब करें नामकरण संस्कार

हिन्दू धर्म में नामकरण पांचवां संस्कार होता है। इसके लिए तिथि, नक्षत्र और अन्य ज्योतिषीय विचारों का ध्यान रखना चाहिए।

  • बच्चे के जन्म के बाद उसका नामकरण संस्कार 11वें या 12वें दिन कर लेना चाहिए।
  • यह संस्कार शिशु जन्म के बाद सामान्यतः 10 दिन की सूतक अवधि के बाद ही किया जाना चाहिए।
  • चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी की तिथि पर नामकरण संस्कार नहीं करना चाहिए।
  • जहां तक वार का विषय है, किसी भी दिन नामकरण संस्कार किया जा सकता है।
  • मृगशिरा, रोहिणी, पुष्य, रेवती, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, श्रवण, अश्विनी, शतभिषा आदि नक्षत्रों में नामकरण संस्कार शुभ माना गया है।
  • कुल परंपराओं के अनुसार कहीं-कहीं पर नामकरण संस्कार बच्चे के जन्म के बाद 100वें दिन या एक वर्ष बीत जाने पर भी किया जाता है।
  • नामकरण के समय बच्चे के दो नाम रखे जाते हैं। इनमें एक प्रचलित और दूसरा गुप्त होता है।
  • जिस नक्षत्र में शिशु का जन्म होता है, उस नक्षत्र के अनुसार बच्चे का नाम रखा जाना शुभ माना जाता है।
  • इसके अतिरिक्त माता-पिता चाहें तो अपनी इच्छा और कुल परंपराओं के अनुसार भी बच्चे का नाम रख सकते हैं।

कैसे करें नामकरण संस्कार

  • नामकरण संस्कार घर पर ही कराया जाता है। हालांकि मंदिर और धार्मिक स्थल पर भी यह कार्य संपन्न किया जा सकता है।
  • इस अवसर पर घर में पूजा कराई जाती है। माता-पिता शिशु को गोद में लेकर विधिवत तरीके से पूजा करते हैं।
  • इस दौरान मधुर वाणी के लिए चांदी की चम्मच से बच्चे को शहद चटाया जाता है।
  • अंत में माता-पिता बच्चे के कान में उसके नाम का उच्चारण करते हैं।

नाम हर व्यक्ति के अस्तित्व का बोध कराता है इसलिए नामकरण संस्कार का बड़ा महत्व है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिशु के नामकरण संस्कार से आयु तथा तेज की वृद्धि होती है। अपने नाम, आचरण और कर्म से बालक ख्याति प्राप्त कर अपनी एक अलग पहचान कायम करता है।

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